Tamil Nadu Picture Hindi Movie
Today I'm going to show you the best 131 Children Moral Stories in Hindi with Pictures of 2021. This moral story in Hindi helps your children to grow with moral values. In fact, the majority of people already give me very positive feedback.
- बच्चे और उनके दादाजी
- नकलची कौआ
- गरीब भक्त
- अपनी मदद आप स्वयं करते हैं
- बहादुर कलहंस
- चालाक गधा
- कड़वा सच
- बुद्धिमान किसान
- सपना सच हुआ
- सुनहरी चिड़िया
- कुत्ता और खरगोश
- भूखे कुत्ते
- बंदर की जिज्ञासा और कील
- किंग कोबरा और चींटियाँ
- कानी हिरनी
- मछुआरा और शिकारी
- कौआ और घड़ा
- सोने के अण्डे वाला हंस
- मानव और सर्प
- ग्वालिन और उसका मटका
- कंजूस और धन
- सेविका और भेड़िया
- कौआ और लोमड़ी
- एक शेर और चार बैल
- मछुआरा और नन्ही मछली
- आडू और सेब
- हाथी को चुनौती देने वाला भँवरा
- गधा, मुर्गा और शेर
- अलीबाबा और खजाना
- जादुई पत्थर
- हैमलिन का बांसुरी वाला
- सिंदबाद
- तीन बकरे
- नटखट खरगोश
- तीन सूअर
- बाम्बी
- मुर्गे का घमंड
- दो मित्र
- कपटी बाज
- बारहसिंगा की भूल
- स्वार्थी बकरी
बच्चे और उनके दादाजी – Moral Based Stories in Hindi
एक गाँव में दो चतुर बच्चे अपने माता-पिता के साथ रहते थे। एक दिन उनके दादाजी उनके साथ रहने के लिए आए। वह एक नाविक रह चुके थे। बच्चों को उनसे कहानियाँ सुनना अच्छा लगता था।
वह उन्हें बताते, कैसे वह समुद्री डाकुओं से लड़े। धीरे-धीरे दादाजी कहानियाँ सुनाकर ऊब गए। वह अपने हमउम्र लोगों से बातें करना चाहते थे। गाँव के पास 'नाविक की वापसी' नामक एक सराय थी।
बच्चों ने दादाजी को उसके बारे में बताते हुए कहा-"आपको वहाँ जाना चाहिए। वह नाविकों से भरा रहता है।" लेकिन दादाजी ने कहा-" अब मैं नए दोस्त नहीं बना सकता।"
बच्चों ने उस सराय के मालिक के बच्चों को बताया-"हमारे दादाजी एक नाविक थे। वह समुद्री डाकुओं और गड़े हुए खजाने की बहुत सी कहानियाँ जानते हैं और यह भी जानते हैं कि डाकुओं ने खज़ाना कहाँ छुपाया था।"
जल्दी ही, दादाजी को सराय से निमंत्रण आने लगे। दादाजी अब अपना समय सराय में बिताने लगे और वह अब यहाँ पर खुश थे। बच्चे भी खुश थे क्योंकि अब दादाजी हमेशा उनके साथ ही रहने वाले थे।
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नकलची कौआ – Moral Based Stories in Hindi
एक बार एक जंगल में एक मूर्ख कौआ रहता था। एक दिन उसने एक चील को एक कमज़ोर मेमने पर हमला करते हुए देखा। उसके देखते-देखते,
उस चील ने मेमने को अपने ताकतवर पंजों में उठा लिया और फिर वह उसे अपने घोंसले में ले गया। कौआ उस चील से बहुत प्रभावित हुआ। कौए ने सोचा वह भी ऐसा कर सकता है।
उसने भी अपना शिकार ढूंढना शुरु किया। आकाश में उड़ते हुए उसे भी एक मेमना दिखा। वह आकाश से सीधा उस पर जा गिरा। उसने मेमने को अपने पंजों में पकड़ने की कोशिश की, परंतु वह उसके लिए बहुत भारी था।
यही नहीं, वह उसके बालों में बुरी तरह से फंस गया। चरवाहे ने उसे देख लिया और पिंजरे में बंद कर दिया। इस तरह मूर्ख कौआ चील की नकल करने के कारण खुद ही जाल में फंस गया।
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गरीब भक्त – Moral Based Stories in Hindi
एक गाँव में एक निर्धन व्यक्ति रहता था। वह इतना निर्धन था कि मुश्किल से अपने परिवार के लिए एक वक्त का खाना जुटा पाता था। लेकिन उसने कभी अपनी निर्धनता की शिकायत किसी से नहीं की।
उसके पास जो कुछ था, वह उसी में संतुष्ट था। वह देवी का बहुत बड़ा भक्त था। इसीलिए वह पूजा करने के लिए हमेशा मंदिर जाता था। मंदिर जाने के बाद ही वह अपने कार्य पर जाता था।
एक दिन देवी को अपने इस गरीब भक्त पर दया आ गई। इसलिए एक दिन सुबह-सुबह देवी ने अपनी दिव्य शक्ति से मंदिर के बाहर एक सोने के सिक्कों से भरा थैला रख दिया।
वह भक्त मंदिर आया और आँखें बंद करके मंदिर के चारों ओर देवी का ध्यान करते हुए परिक्रमा करने लगा। आँखें बंद होने के कारण वह सोने के सिक्कों से भरा थैला नहीं देख पाया और यूँ ही चला गया। यह देखकर देवी ने सोचा, 'समय से पहले और भाग्य से अधिक किसी को कुछ नहीं मिलता।'.
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अपनी मदद आप स्वयं करते हैं – Moral Based Stories in Hindi
एक बार एक धनी व्यापारी व्यापार के उद्देश्य से पानी के जहाज द्वारा अपने शहर से दूसरे शहर जा रहा था। वह अपने साथ कीमती रत्न एवं सोने के सिक्कों से भरा एक संदूक भी ले जा रहा था।
रास्ते में तूफान आ गया। जहाज इधर-उधर हिलोरें लेने लगा। कुछ घंटों के बाद तूफान तो थम गया, लेकिन जहाज की तली में एक छेद हो गया। अब जहाज में पानी भरने लगा।
यह देखकर कुछ लोग जहाज में ही डूब गए और कुछ सौभाग्यशाली तैरकर किनारे पहुँच गए। यह देखकर व्यापारी ने प्रार्थना करनी शुरू की, "हे भगवान! कृपा करके मेरा जीवन बचा लो।"
एक व्यक्ति व्यापारी के पास गया और बोला, "कूदो और तैरकर समुद्र के किनारे पहुँचो। भगवान उसकी मदद करता है जो अपनी मदद स्वयं करते हैं।" लेकिन व्यापारी ने उसकी एक न सुनी।
वह जहाज में ही रहा। थोड़ी देर में जहाज डूब गया और वह व्यापारी भी जहाज के साथ डूबकर अकाल मृत्यु का ग्रास बना।
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बहादुर कलहंस – Moral Based Stories in Hindi
बहुत पहले, रोम के शासकों को अपनी ताकत पर जरूरत से ज्यादा भरोसा हो गया था। तभी गाउल्स कहलाने वाले डाकुओं ने उन पर हमला कर दिया।
एक बहादुर सिपाही केपीटोल(जुपिटर के मंदिर) के पीछे खजाने की रक्षा कर रहे थे। गाउल्स ने खड़ी चट्टानों पर चढ़ने की बहुत कोशिश की परंतु असफल हुए।
बाद में उनको केपीटोल का गुप्त रास्ता पता चल गया। उन्होंने रात में हमले की योजना बनाई। अंधेरे में रोमन सिपाहियों को गर्ल्स के आने का पता नहीं चला,
लेकिन वहाँ रोमन भगवान को बली देने के लिए कलहंस रखी हुई थीं। कलहंसों ने दुश्मनों को देखा तो ज़ोर से शोर करने लगीं।
उनके शोर ने रोमनवासियों को जगा दिया। वे बहादुरी से गाउल्स के साथ लड़ने लगे। रोमन सेना भी वहाँ आ पहुँची और दुश्मनों को मार भगाया गया।
रोमन शासक कलहसो से बहुत खुश हुए। उन्होंने फैसला किया कि आगे से उनकी बली नहीं दी जाएगी। उस फैसले को आज भी माना जाता है।
चालाक गधा – Moral Based Stories in Hindi
एक दिन एक शेर अपनी प्यास बुझाने के लिए नदी के तट पर गया। वहाँ नदी के दूसरे तट पर एक गधा भी पानी पी रहा था। गधे को देखकर शेन ने उसे अपना भोजन बनाने के लिए एक योजना बनाई।
शेर बोला, "प्यारे गधे, क्या नदी के उस किनारे कोई घोड़ा भी है? मेरी इच्छा उसका गाना सुनने की है।" गधे को उसकी नीयत पर तनिक भी संदेह नहीं है। वह बोला."श्रीमान क्या घोड़ा ही गा सकता है, मैं नहीं?
लीजिए मेरा गाना सुनिए।" यह कहकर उसने अपनी आँखें बंद की और जोर-जोर से रेंकना शुरू कर दिया। मौका पाकर शेर ने नदी पार की और गधे को पकड़ लिया। गधा भी चालाक था।
वह बोला, "श्रीमान् ! मैं आपका भोजन बनने के लिए तैयार हूँ। लेकिन मैंने सुना है कि ताकतवर एवं बलशाली शेर अपना भोजन करने से पहले भगवान की प्रार्थना करते हैं।" शेर अपने को जंगल का सबसे शक्तिशाली जानवर मानता था।
इसलिए उसने प्रार्थना करने के लिए अपनी आँखें बंद कर ली। अब गधे को भागने का अच्छा मौका मिल गया। वह वहाँ से तेजी से भाग निकला। इस तरह चालाकी में वह गधा शेर पर भारी पड़ा।
कड़वा सच – Moral Based Stories in Hindi
जंगल के राजा शेर के जन्मदिन के अवसर पर सभी पशु-पक्षी आमंत्रित शेर की माँद में एक विशाल भोज की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। सभी पशु-पक्षी सज-धजकर नियत समय पर समारोह में पहुँचे।
समारोह में गधे को छोड़कर सभी पशु-पक्षी आए थे। शेर ने केक काटा और सभी ने जन्मदिन का गीत गाया। उसके बाद सभी ने भोज का आनंद लिया। शेर को गधे के आने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन वह नहीं आया। तब शेर ने सोचा।
'हो न हो, किसी जरूरी कार्य की वजह से गधा नहीं आ पाया होगा।' अगले दिन जब शेर गधे से मिला तो उसने गधे से इस विषय में पूछा। गधा बोला, "मुझे समारोह आदि में जाने से नफरत है।
मुझे घर पर रहकर आराम करना ही अधिक पंसद है।" गधे ने शेर से सत्य ही कहा था, जो कि कड़वा था। गधे की बात सुनकर शेर को बहुत गुस्सा आया और उसने गधे को जंगल से निष्कासित कर दिया।
तभी से गधा आदमी के साथ रह रहा है और उसका बोझ उठाने को विवश है। उसकी यह दशा एक कड़वा सच कहने के कारण हुई। किसी ने ठीक ही कहा है कि सच हमेशा कड़वा होता है।
बुद्धिमान किसान – Moral Based Stories in Hindi
एक दिन एक किसान मेले से अपने घर लौट रहा था। उसने मेले से एक भैंस ने खरीदी थी। जब वह घने जंगल से होकर गुजर रहा था, एक डाकू उसका रास्ता रोक लिया। उसके हाथ में एक मोटा-सा डंडा था।
वह बोला, "तुम्हारे पास जो कुछ भी है, वह सब मुझे दे दो।" । किसान डर गया। उसने अपने सारे पैसे डाकू को दे दिए। तब डाकू बोला, "अब मुझे तुम्हारी भैंस भी चाहिए।" यह सुनकर किसान ने भैंस की रस्सी भी भी डाकू के हाथ में दे दी।
फिर किसान बोला, "मेरे पास जो कुछ भी था, मैंने सब तुम्हें दे दिया। कृपा करके आप मुझे अपना डंडा दे दीजिए।" डाकू ने पूछा, " लेकिन तुम्हें इसकी क्या आवश्यकता है?" वह बोला, "मैं यह डंडा अपनी पत्नी को दूंगा ।
यह डंडा देखकर वह बड़ी खुश होगी कि मैं मेले से उसके लिए कुछ तो लाया हूँ।" डाकू ने डंडा किसान को दे दिया। किसान ने बिना वक्त गंवाए डाकू को जोर-जोर से मारना शुरू कर दिया।
डाकू पैसे और भैंस छोड़कर वहाँ से भाग खड़ा हुआ। इस तरह से बुद्धिमान किसान ने अपना सामान डाकू से बचा लिया।
सपना सच हुआ – Long Stories in Hindi with Moral
बिटू बहुत गरीब था। एक दिन वह रामलाल की दुकान पर गया। रामलाल ने उससे पूछा, "तुम यहाँ क्यों खड़े हो?". बिट्टू ने जवाब दिया,"मैंने पिछली रात एक सपना देखा। सपने में मैंने देखा कि तुम्हारी दुकान के आगे मुझे सोना मिला है।"
उसकी बात सुनकर रामलाल हँसने लगा। वह हँसकर बोला, "तुम बड़े ही बेवकूफ हो। सपने कभी सच नहीं होते। चलो मैं भी तुम्हें अपने सपने के बारे में बताता हूँ। मैंने भी देखा कि तुम्हारे घर के आँगन के नीचे सोना है।"
बिट्टू ने रामलाल के सपने को गम्भीरतापूर्वक लिया और वह वापस घर की ओर चल पड़ा। घर पहुँचकर उसने अपना आँगन खोदना शुरू किया। काम खोदने के बाद उसे मिट्टी के अन्दर एक घड़ा नजर आया। उसने वह घड़ा निकाला।
वह सोने के सिक्कों से भरा हुआ था। बिटू मन-ही-मन बोला, 'धन्यवाद रामलाल, कभी कभी सपने भी सच हो जाते हैं। आज तुम्हारे सपने की वजह से मैं एक धनी आदमी बन गया हूँ।
सुनहरी चिड़िया – Long Stories in Hindi with Moral
एक जंगल में एक सुनहरी चिड़िया रहती थी। वह मीठे गीत गाया करती थी। जब वह गाना गाती तो उसकी चोंच से चमकदार मोती गिरते। एक दिन एक बहेलिए ने उसे पकड़ लिया।
उसने उसे अपने घर ले जाकर एक सोने के पिंजरे में रख दिया। वह उसे अच्छा खाना देता, लेकिन चिड़िया दुखी रहती। वह आजादी का आनंद लेना चाहती थी। अब वह पिंजरे में गाना भी नहीं गाती थी।
इस वजह से बहेलिए को एक भी मोती नहीं मिल पा रहा था। तंग आकर बहेलिए ने उस सुनहरी चिड़िया को राजा को उपहार स्वरूप भेंट कर दी। राजा ने वह चिड़िया राजकुमारी को दे दी।
राजकुमारी एक अच्छी लड़की थी। वह बहुत दयालु थी। उसने सुनहरी चिड़िया को आजाद कर दिया। चिड़िया अपनी आजादी से बहुत खुश थी, इसलिए वह पुन: गाने लगी।
फलस्वरूप उसकी चोंच से राजकुमारी के कमरे में मोती गिरने लगे। उस दिन से वह सुनहरी चिड़िया रोज राजकुमारी से मिलने आती और उसके लिए गाना गाती। वह जैसे ही गाना गाती वैसे ही उसकी चोंच से मोती झडते। यह उसकी तरफ से प्यारी राजकुमारी के लिए तोहफा था।
कुत्ता और खरगोश – Moral Story in Hindi
एक कुत्ते और एक खरगोश के बीच बहुत पक्की दोस्ती थी। खरगाश का स्वभाव सीधा-सादा था, जबकि कुत्ता बहुत चालाक था।
एक दिन कुत्ते ने अचानक खरगोश को पकड़कर जोर से काट लिया। खरगोश दर्द के मारे मरा जा रहा था।
अब कुत्ता खरगोश के घाव को चाट-चाटकर उसे आराम पहुँचाने की कोशिश करने लगा। खरगोश कुत्ते के व्यवहार को देखकर दंग था और समझ नहीं पा रहा था कि वो क्या करे।
वह जानने की कोशिश कर रहा था कि कुत्ता क्या चाहता है। "पहले मुझे यह बताओ, तुम मेरे दोस्त हो या दुश्मन?
अगर तुम मेरे सच्चे दोस्त हो, तो तुमने मुझे इतने जोर से काटा क्यों? अगर तुम दुश्मन हो तो अब मेरे घावों को चाट क्यों रहे हो?
या तो मुझे मार डालो या मुझे अपनी मर्जी से जीवन जीने दो।"
Moral of Story
शिक्षा : संदिग्ध मित्र तो शत्रु से भी बुरा होता है।
भूखे कुत्ते – Moral Story in Hindi
तीन कुत्ते थे, जो आपस में गहरे मित्र थे। एक दिन, तीनों कुत्ते भूखे थे और उन्हें खाने-पीने को कुछ नहीं मिल रहा था।
अचानक उन्हें पानी की धारा में नीचे एक हड्डी पड़ी दिखी। उन्होंने वह हड्डी उठाने की बहुत कोशिश की लेकिन उस तक नहीं पहुंच पाए।
तीनों ने निश्चय किया कि अगर सारा पानी पी लिया जाए तो उन्हें हड्डी मिल जाएगी।
तीनों ने पानी पीना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में उनके पेट भर गए और फूलने लगे। वे तब भी नहीं रुके और लगातार पानी पीते गए।
उनके पेट और अधिक फूलते गए और फट गए। उनके पेटों से सारा पानी भी बाहर निकल पड़ा। तीनो कुत्ते उसी पानी की धारा में नीचे मरे पड़े थे।
Moral of Story
शिक्षा : अगर तुम मूर्खतापूर्ण तरीकों से किसी असंभव कार्य करने की कोशिश करोगे तो तुम्हें हानि होना निश्चित है।
बंदर की जिज्ञासा और कील – Moral Story in Hindi
एक व्यापारी ने एक मंदिर बनवाना शुरू किया और मजदूरों को काम पर लगा दिया। एक दिन, जब मजदूर दोपहर में खाना खा रहे थे, तभी बंदरों का एक झुंड वहाँ आ गया।
बंदरों को जो सामान हाथ लगता, उसी से वे खेलने लगते। एक बंदर को लकड़ी का एक मोटे लट्टे में एक बड़ी-सी कील लगी दिखाई दी।
कील की वजह से लट्टे में बड़ी दरार सी बन गई थी। बंदर के मन में आया कि वह देखे कि आखिर वह है क्या।
जिज्ञासा से भरा बंदर जानना चाहता था कि वह कील क्या चीज है। बंदर ने उस कील को हिलाना शुरू कर दिया।
वह पूरी ताकत से कील को हिलाने और बाहर निकालने की कोशिश करता रहा। आखिरकार, कील तो बाहर निकल आई लेकिन लट्टे की उस दरार में बंदर का पैर फँस गया।
कील निकल जाने की वजह से वह दरार एकदम बंद हो गई। बंदर उसी में फँसा रह गया और पकड़ा गया। मजदूरों ने उसकी अच्छी पिटाई की।
Moral of Story
शिक्षा : जिस बात से हमारा कोई लेना-देना न हो, उसमें अपनी टाँग नहीं अड़ाना चाहिए।
किंग कोबरा और चींटियाँ – Moral Story in Hindi
बहुत समय पहले की बात है, एक भारी किंग कोबरा एक घने जंगल में रहता था। वह रात में शिकार करता था और दिन में सोता रहता था।
धीरे-धीरे वह काफी मोटा हो गया और पेड़ के जिस बिल में वह रहता था, वह उसे छोटा पड़ने लगा। वह किसी दूसरे पेड़ की तलाश में निकल पड़ा।
आखिरकार, कोबरा ने एक बड़े पेड़ पर अपना घर बनाने का निश्चय किया, लेकिन उस पेड़ के तने के नीचे चींटियों की एक बड़ी बाँबी थी,
जिसमें बहुत सारी चींटियाँ रहती थीं। वह गुस्से में फनफनाता हुआ बाँबी के पास गया और चींटियों को डाँटकर बोला, "मैं इस जंगल का राजा हूँ।
मैं नहीं चाहता कि तुम लोग मेरे आस-पास रहो । मेरा आदेश है कि तुम लोग अभी अपने रहने के लिए कोई दूसरी जगह तलाश लो। अन्यथा, सब मरने के लिए तैयार हो जाओ! "
चींटियों में काफी एकता थी। वे कोबरा से बिलकुल भी नही डरीं। देखते ही देखते हजारों चींटियाँ बाँबी से बाहर निकल आईं।
सबने मिलकर कोबरे पर हमला बोल दिया। उसके पूरे शरीर पर चींटियाँ रेंग- रेंगकर काटने लगीं! दुष्ट कोबरा दर्द के मारे चिल्लाते हुए वहाँ से भाग गया।
कानी हिरनी – Moral Story in Hindi
एक कानी हिरनी समुद्र तट के पास घास चर रही थी। उसे हमेशा सतर्क रहना पड़ता था क्योंकि शिकारी कभी भी उस पर हमला कर सकते थे।
वह बार-बार आसपास के मैदान पर नजर डाल लेती थी। उसका मानना था कि शिकारी आएँगे तो इसी रास्ते से आएँगे।
वह समुद्र की ओर कभी नहीं देखती थी क्योंकि उसे लगता था कि समुद्र की ओर से तो शिकारी आएँगे नहीं।
एक दिन, कुछ लोग एक नाव पर सवार होकर आए। हिरनी को चरते देखकर, उन्होंने उस पर तीर चला दिया। देखते ही देखते हिरनी जमीन पर गिर पड़ी।
अंतिम साँस लेते हुए हिरनी स्वयं से बोली, "भाग्य का खेल कितना निराला है! मैं सोचती थी कि खतरा जमीन की ओर से आएगा, लेकिन मेरे दुश्मन तो समुद्र की ओर से आ गए।"
Moral of Story
शिक्षा : खतरे प्राय: उस ओर से आते हैं, जहाँ से उनके आने की आशंका कम होती है।
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मछुआरा और शिकारी – Moral Story in Hindi
एक शिकारी बहुत सारे शिकार लेकर पहाड़ से नीचे उतर रहा था। अचानक उसके सामने मछलियों से भरा थैला लिए एक मछुआरा आ गया। दोनों मिले और थोड़ी बातचीत के बाद ही दोनों अच्छे दोस्त बन गए।
मछुआरे ने शिकार खाने की इच्छा जताई और शिकारी का मन मछलियाँ खाने का था। दोनों ने अपना-अपना सामान एक-दूसरे से बदल लिया।
अब तो दोनों की ही यह आदत बन गई। हर दिन वे अपना-अपना सामान एक-दूसरे से बदल लेते। एक दिन जब वे दोनों साथ बैठे भोजन कर रहे थे,
तभी एक बुद्धिमान व्यक्ति वहाँ आया। उसने दोनों को अपना अपना भोजन बदलते देखा। कुछ देर सोचने के बाद वह दोनों से बोला, "दोस्तो,
अगर तुम लोग हर दिन अपना भोजन आपस में बदलते रहे तो कुछ ही दिनों में तुम्हें इसमें मजा आना बंद हो जाएगा और फिर से अपना भोजन करने का मन करने लगेगा।
Moral of Story
शिक्षा : खुशी पाने के लिए कुछ परहेज भी करना चाहिए।"
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कौआ और घड़ा – Moral Story in Hindi
तेज गर्मी का दिन था। एक कौए को जोर से प्यास लगी थी। उसने आसपास पानी की खोज की। उसे एक घड़ा दिखाई दिया।
कौआ उड़कर घड़े के पास गया और घड़े में झाँककर देखने लगा। घड़े में तली में बहुत थोड़ा-सा पानी बचा था।
कौआ समझ गया कि पानी के लिए या तो घड़ा उलटना पड़ेगा या उसे फोड़ना पड़ेगा। दोनों ही काम उसके बस के नहीं थे।
हालाँकि, कौए ने आस नहीं छोड़ी और किसी दूसरे उपाय के बारे में सोचने लगा । उसने घड़े के पास बहुत सारे कंकड़ पड़े देखे।
उसके मन में एक विचार आया। कौए ने एक-एक करके सारे कंकड़ घड़े में डालने शुरू कर दिए।
जब काफी सारे कंकड़ घड़े में पहुँच गए तो पानी का स्तर धीरे-धीरे ऊपर आ गया। कौए की चोंच पानी तक पहुँचने लगी। उसने भरपेट पानी पिया।
Moral of Story
शिक्षा : आवश्यकता आविष्कार की जननी है।
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सोने के अण्डे वाला हंस – Moral Story in Hindi
एक दिन एक किसान ने देखा कि उसके नए हंस ने एक सुनहरे रंग का अंडा दिया है।
वह अंडा बहुत चमक रहा था। किसान ने अंडा उठा लिया। वह बहुत भारी भी था।
उसे लगा कि किसी ने उसके साथ भद्दा मजाक किया है। फिर वह अंडे को लेकर अपनी पत्नी के पास गया।
पत्नी अंडे को देखकर आश्चर्यचकित होती हुई बोली, "अरे, यह तो सोने का अंडा है, तुम्हें कहाँ से मिला?"
प्रतिदिन सुबह अब किसान को एक सुनहरा अंडा मिलने लगा। अंडे बेचकर शीघ्र ही किसान दम्पत्ति धनवान हो गए।
धन के साथ-साथ लालच ने भी आ घेरा।
एक दिन उसकी पत्नी ने कहा, "क्यों न हम हंस को मार दें हमें सारे अण्डे एक दिन में मिल जाएंगे।
हम बहुत अमीर हो जाएंगे" किसान को पत्नी की बात सही लगी। उन्होंने हंस को मार डाला पर उन्हे अण्डे मिले ही नहीं।
बेचारे हंस को भी मार डाला और कुछ हाथ भी न लगा। अब उनके पास पछताने के अलावा कोई चारा न था।
Moral of Story
शिक्षा : लालच बुरी बला है।
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मानव और सर्प – Moral Story in Hindi
एक बार दुर्भाग्यवश एक किसान के बेटे का पाँव एक सर्प की पूँछ पर पड़ गया। पूँछ दबने से सर्प क्रोधित हो उठा और उसने बालक को काट लिया। सर्प विषैला था बालक की तत्काल मृत्यु हो गई।
क्रोधित किसान ने अपनी कुल्हाड़ी उठाई और साँप से बदला लेने के लिए उसकी पूँछ काट दी। साँप दर्द से कराह उठा। अब उसने भी बदला लेने की ठानी और जाकर किसान के मवेशियों को काट लिया।
भारी नुकसान हुआ। किसान ने विचारा, "बहुत नुकसान हो चुका… वैर से क्या लाभ? सर्प से मित्रता कर लेनी चाहिए। "
" एक प्याली में शहद डालकर किसान ने सर्प के बिल के पास जाकर कहा, "हम लोगों को एक दूसरे को क्षमा करके सारी बातें भूल जानी चाहिए… हम लोग क्या मित्र नहीं बन सकते?"
सर्प ने कहा, "नहीं, यह संभव नहीं है… तुम्हारा उपहार तुम्हें मुबारक हो। तुमने अपने पुत्र को खोया है जिसे तुम कभी नहीं भुला सकते हो और न ही मैं अपनी पूँछ का दुःख भुला सकता हूँ।
Moral of Story
शिक्षा : अपकार क्षमा किया जा सकता है पर भूला नहीं जा सकता।
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ग्वालिन और उसका मटका – Moral Story in Hindi
एक समय की बात है… एक ग्वालिन सिर पर दूध का मटका रखे, दूध बेचने बाजार जा रही थी। रास्ते में चलते-चलते उसके मन में कुछ ख्याल आया। दूध बेचने से मिलने वाले पैसे का वह मन ही मन हिसाब लगाने लगी।
उसने सोचा, "मैं दूध बेचने से मिले पैसों से कुछ मुर्गियाँ खरीदूँगी।
समय के अंतराल में मुर्गियाँ अंडे देंगी और मैं उन्हें फिर बेच दूँगी। अंडे बेचने से जो पैसे मिलेंगे उनसे मैं अपने लिए एक सुंदर सा लहंगा और चोली खरीदूंगी। उसे पहनकर मैं बाजार जाऊँगी"।
"वह और सपने बुनने लगी, एक युवक मुझे देखकर मेरे पास आएगा और मुझसे बात करने की कोशिश करेगा । तब मैं भी अपनी शान दिखाऊँगी और जोर से अपना चेहरा दूसरी ओर फेर लूँगी…
ऐसा सोचते हुए उसने अपना चेहरा एक झटके से पीछे घुमा लिया। सिर पर रखा दूध का मटका झटका खाकर नीचे गिर कर फूट गया और सारा दूध बिखर गया। ग्वालिन के पास दुखी होने के अलावा कुछ नही था।
Moral of Story
शिक्षा : कोई भी कार्य ध्यान से करना चाहिए।
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कंजूस और धन – Moral Story in Hindi
एक समय की बात है… एक महाकंजूस था। अपना एक पैसा भी खर्च नहीं करता था। उसके पास काफी सोना था।
उसे वह अपने बगीचे में, एक पेड़ के नीचे खोदकर, छिपा दिया करता था। प्रत्येक सप्ताह वह वहाँ जाता,
पेड़ के नीचे खोदकर अपना थैला निकालता, सिक्के गिनता और पुनः उसे वापस गाड़ दिया करता था।
एक डाकू ने उसे ऐसा करते देख लिया। अवसर देखकर उसने जमीन को खोदा और सारा धन निकालकर गायब हो गया।
अगली बार कंजूस जब अपना धन देखने आया तो उसे वहाँ कुछ नहीं मिला। थैले की जगह मात्र गड्ढा था। परेशान होकर वह अपने बाल नोचने लगा और चीखने-चिल्लाने लगा।
शोर सुनकर पड़ोसी इकट्ठे हो गए। सबके पूछने पर उसने बताया कि उसने कभी भी कुछ खर्च नहीं किया। बस सोने को देखकर ही प्रसन्न हुआ करता था।
पड़ोसियों ने कहा, "तुम्हारे लिए सोने का क्या काम- वह तो मिट्टी में दबा था। आगे से आकर बस इसी गड्ढे को देख लिया करना।"
Moral of Story
शिक्षा : जिस धन का सदुपयोग न हो वह व्यर्थ है।
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सेविका और भेड़िया – Moral Story in Hindi
एक सेविका एक छोटे बच्चे को अपनी गोद में सुला रही थी। काफी देर हो गई, बच्चा सोने की जगह रोने लगा।
सेविका ने परेशान होते हुए कहा, चुप हो जाओ! अधिक शोर किया तो तुम्हें भेड़िए के सामने डाल दूँगी।"
एक भेड़िया उसी समय उधर से जा रहा था। उसने सेविका की सारी
बातें सुन ली। वह एक किनारे दुबककर बैठ गया और चुपचाप प्रतीक्षा करने लगा।
भेड़िए ने सोचा, "कितना भाग्यशाली हूँ मै… बच्चा रोएगा… तो सेविका उसे मेरे पास डाल देगी और मैं उसे खा लूँगा।"
भेड़िया बच्चे के रोने की आशा में वहीं बैठा रहा। काफी देर हो गई। जब कोई आवाज नहीं आई तो उसने उठकर खिड़की के भीतर झाँका।
सेविका ने भेड़िए को देख लिया और आकर झट से खिड़की बंद कर दी।
वह ज़ोर से चिल्लाने लगी और लोगों को सहायता के लिए बुलाने लगी। यह सब देखकर भेड़िया घबराकर वहाँ से भाग गया।
Moral of Story
शिक्षा :शत्रु द्वारा दी गयी आशा पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
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कौआ और लोमड़ी – Hindi Moral Stories
एक समय की बात है… एक लोमड़ी ने एक कौए को अपनी चोंच में रोटी का एक टुकड़ा लेकर जाते देखा।
रोटी देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी भर आया। वह रोटी की चाह में कौए के पीछे गई और कौए से रोटी झपटने का
उपाय सोचने लगी। कौआ रोटी लेकर पेड़ की एक टहनी पर बैठ गया।
लोमड़ी पेड़ के नीचे पहुंची। चापलूसी के अंदाज में उसने कौए से कहा, "राम – राम कौए भाई , आज क्या बात है…
बड़े अच्छे लग रहे हो… आँखों में नूर है, पंखों में गजब की चमक है… तुम तो पक्षियों के राजा हो… मेरे लिए गाना नहीं गाओगे…?"
कौआ अपनी प्रशंसा सुनकर प्रसन्न हो गया। वह फूला नहीं समा रहा था। इतराकर गाने के लिए ज्योंही उसने अपनी चोंच खोली..
रोटी का टुकड़ा जमीन पर गिर पड़ा। चालाक लोमड़ी ने उसे झट से उठा लिया और नौ दो ग्यारह हो गई।
Moral of Story
शिक्षा : चापलूसों से सावधान रहना चाहिए।
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एक शेर और चार बैल – Hindi Moral Stories
एक शेर था। उसकी गुफा के पास में ही एक खेत था। खेत में चरने आने वाले जानवरों को वह घात लगाकर पकड़ता और उन्हें अपना भोजन बनाता था।
चार बैलों में बड़ी गहरी मित्रता थी। एक बार वे चारों बैल उसी खेत में चरने आए। वे चारों सदा साथ-साथ रहते थे। कई बार शेर ने उन पर हमला कर उन्हें पकड़ना चाहा पर पकड़ न पाया।
जब भी शेर उन्हें पकड़ने आता, चारों बैल एक साथ मिलकर अपने सींगों से उस पर हमला कर देते थे। पर शेर ने हार नहीं मानी।
वह अवसर की तलाश में रहने लगा। एक दिन उसे अवसर मिल ही गया। किसी बात पर उन चारों बैलों में एक दिन लड़ाई हो गई।
चारों खेत के अलग – अलग कोनों में जाकर चरने लगे। शेर ने अवसर देखकर उन पर हमला कर दिया और एक एक कर उन्हें मार दिया।
Moral of Story
शिक्षा : आपसी फूट विनाश का कारण बनती है।
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मछुआरा और नन्ही मछली – Hindi Moral Stories
एक मछुआरे को बहुत भूख लगी थी। दिनभर नदी किनारे बैठकर मछली पकड़ता रहा पर उसे मछली नहीं मिली।
हाँ, शाम के समय एक छोटी मछली अवश्य हाथ लगी। मछुआरे ने उसी से संतोष करना चाहा, पर मछली बोली,
"मुझ पर दया करो, मैं अभी बहुत छोटी हूँ। मुझे खाकर तुम्हारा पेट नहीं भरेगा।
जल में जाकर मैं शीघ्र ही बड़ी हो जाऊँगी तब तुम मुझे खा लेना।" मछुआरे ने कहा,
"बड़ी कठिनाई से तू मेरे हाथ लगी है। बाद का पता नहीं, मैं तो तुझे अभी ही खाऊँगा।"
Moral of Story
शिक्षा : बड़े वादे से छोटा लाभ ही भला है।
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आडू और सेब – Hindi Moral Stories
एक बगीचे में एक आडू और एक सेब आपस में बहस कर रहे थे। दोनों अपने आपको अधिक सुंदर बता रहे थे। दोनों अपनी बात पर अड़े थे।
उन्होंने निर्णय के लिए खुली बहस करने का निश्चय किया। दोनों फलों के बीच तीखी बहस होने लगी। बगीचे के सारे फल उनकी बातें सुन रहे थे।
तभी पास की झाड़ी से एक काली बेरी ने अपना सिर उठाया और चिल्लाकर बोली, "तुम लोगों की बहस बहुत हो चुकी है।
हमें नहीं लगता कि तुम लोगों का फैसला हो पाएगा। इस बहस से कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है।
अपने मतभेद भुलाकर हाथ मिलाओ और फिर से दोस्त बन जाओ। शांति से रहने का यही एक तरीका है। "
Moral of Story
शिक्षा : ऊँचे स्वर में झगड़ने से कोई लाभ नहीं होता।
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हाथी को चुनौती देने वाला भँवरा – Hindi Moral Stories
एक दिन, गोबर में रहने वाले भँवरे की निगाह मेज पर रखी शराब की खाली बोतल पर पड़ी।
वह बोतल के पास गया और उसमें बची- खुची बूंदें पी गया जिससे उसे नशा चढ़ गया।
इसके बाद वह खुशी – खुशी गुंजन करता हुआ वापस गोबर के ढेर में चला गया। पास से ही एक हाथी गुजर रहा था।
गोबर की गंध की वजह से वह दूर हट गया और सीधा जाने लगा। नशे में चूर भँवरे को लगा कि हाथी उससे डर गया है।
उसने वहीं से भँवरे को आवाज लगाई और उसे लड़ने की चुनौतीदेने लगा।
"इधर आ, मोटे! मुझसे मुकाबला कर। देखते हैं कौन जीतता है, वह हाथी की ओर देखकर चिल्लाया।
हाथी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। नशे की धुन में भँवरा उसे लगातार चुनौती देता रहा।
आखिरकार, हाथी का धीरज खत्म हो गया। उसने गुस्से में आकर भँवरे पर गोबर और पानी फेंक दिया। भँवरे की वहीं जान निकल गई।
Moral of Story
शिक्षा : शराब का नशा व्यक्ति को अपने बारे में गलतफहमी पैदा कर देता है।
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गधा, मुर्गा और शेर – Hindi Moral Stories
एक बाड़े में एक गधा, एक मुर्गा साथ रहा करते थे। एक दिन एक शेर उस गधे के ऊपर झपटने ही वाला था कि मुर्गे ने उसे देख लिया और जोर से चिल्ला दिया।
शेर अचानक उसकी आवाज सुनकर डर गया और भागने लगा। गधे ने शेर को भागते देखा तो बहुत प्रसन्न हुआ।
उसने सोचा कि अगर मैं जंगल के राजा शेर का पीछा करूँ तो सारे जानवर उसका बहुत सम्मान करेंगे।
यह सोचकर वह शेर के पीछे दौड़ पड़ा। अचानक शेर पलट गया और गधे पर झपट पड़ा। गधे की मौत वहीं पर हो गई और वह तुरंत मर गया।
Moral of Story
शिक्षा : घमंड नादानी से शुरू होता है और बर्बादी से खत्म होता है।
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अलीबाबा और खजाना – Hindi Moral Stories
पर्शिया में अलीबाबा और कासिम नामक दो भाई रहते थे। कासिम एक धनवान सौदागर था पर अलीबाबा एक गरीब लकड़हारा था।
एक दिन अलीबाबा जंगल में लकड़ी काटने गया हुआ था। वहाँ उसने चालीस लुटेरों को घोड़े पर सवार आते देखा। एक गुफा के सामने उनका नेता घोड़े से उतरा और बोला,
"खुल जा सिमसिम!" गुफा का दरवाजा खुल गया और लुटेरे भीतर चले गए। थोड़ी देर बाद वे बाहर आए। उनके नेता ने फिर कहा,
"बंद हो जा सिम सिम!" और गुफा का दरवाजा बंद हो गया। उनके जाने के बाद अलीबाबा उसी तरह बोलकर गुफा में चला गया।
वहाँ उसने ढेर सारे सोने, जवाहरात, अशर्पिफयाँ और तरह तरह की बहुमूल्य वस्तुएँ देखीं। जितना भर सकता था अपने थैले में भरकर, गधे की पीठ पर लादा और घर आ गया।
अलीबाबा ने अपने भाई कासिम को जाकर सारी बातें बताईं। कासिम उन जादुई शब्दों को याद करता हुआ गुफा के पास जाकर बोला, "खुल जा सिमसिम!" गुफा का दरवाजा खुला, कासिम भीतर गया और दरवाजा बंद हो गया।
अपार संपत्ति देखकर वह अपने सुध-बुध खो बैठा। थैले भरे पर जादुई शब्द वह भूल गया। वह वहीं बंद रहा और लुटेरों के आने पर वह मारा गया।
Moral of Story
शिक्षा : सोच समझ कर कार्य करना चाहिए।
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जादुई पत्थर – Hindi Moral Stories
किसी समय की बात है, एक प्यारी सी बालिका थी पर वह बहुत ही गरीब थी। उसे भरपेट खाना भी नहीं मिलता था। एक दिन भूख से बेहाल बालिका जंगल में फल ढूँढने गई। वहाँ उसकी मुलाकात एक वृद्धा से हुई।
बालिका ने वृद्धा से कहा, "नमस्ते, दादी माँ!" वृद्धा ने आशीर्वाद देते हुए कहा, "नन्ही बालिका, बड़ी प्यारी हो। बताओ, तुम्हें क्या चाहिए?"
बालिका ने बताया कि वह बहुत भूखी है। वृद्धा ने एक पात्र निकाला और कहा, "नन्हे पात्र, पकाओ!" पात्र ने दलिया पकाया। कटोरा भर जाने पर वृद्धा बोली, "नन्हे पात्रा, रुक जाओ!" पात्रा ने आदेश का पालन किया और पकाना बंद कर दिया ।
बालिका ने जी भरकर दलिया खाया। जाते समय वृद्धा ने वह पात्र उसे देते हुए कहा कि इन जादुई शब्दों को सदा याद रखना।
बालिका ने घर आकर अपनी माँ को वह पात्र दिया और सोने चली गई। माँ ने पात्र से कहा, "नन्हे पात्रा, पकाओ!" पात्र ने दलिया पकाया। घर के सारे बर्तन दलिये से भर गए।
धीरे-धीरे पूरा कमरा भर गया। माँ उसे रोकने वाले जादुई शब्द नहीं जानती थी। सोकर उठने पर बालिका ने कहा, "नन्हे पात्र, रुक जाओ!" पात्र ने पकाना बंद कर दिया और फिर पूरे गाँव ने जी भरकर दलिया खाया।
Moral of Story
शिक्षा : कुछ मिलने से बेहतर है कुछ बाँटना।
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हैमलिन का बांसुरी वाला – Hindi Moral Stories
जर्मनी में हैमलिन नामक एक छोटा-सा शहर था। वहाँ बहुत सारे चूहे रहते थे। वहाँ के लोग चूहों से परेशान होकर मेयर के पास गए। मेयर को चूहों से बचने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।
तभी बाँसुरी धरी एक व्यक्ति ने मेयर से कहा, "श्रीमान! मैं बाँसुरी बजाता हूँ। मुझे पता चला है कि चूहों ने आपके नाक में दम कर रखा है। मैं उन्हें यहाँ से ले जा सकता हूँ पर मुझे बदले में क्या मिलेगा?"
मेयर ने कहा, "मैं तुम्हें एक हजार सोने की अशर्पिफयाँ दूँगा । बाँसुरी वाला राजी हो गया। सड़क पर चलते-चलते उसने अपनी बाँसुरी की धुन छेड़ दी। हर दिशा से चूहे निकल-निकल कर उसके पीछे-पीछे चलने लगे।
बांसुरी वाला चलते-चलते उन्हें नदी के किनारे ले गया। सभी चूहे पानी में गिरकर डूब गए।
अब अपना पुरस्कार लेने के लिए बांसुरी वाला मेयर के पास गया। मेयर ने उसे एक हजार चाँदी के सिक्कों की थैली दी। क्रुद्ध बांसुरी वाला चुपचाप बाहर चला गया और दूसरी धुन अपनी बाँसुरी पर बजाने लगा।
इस बार चूहों की जगह शहर के सभी बच्चे सम्मोहित होकर उसके पीछे-पीछे चलने लगे। बांसुरी वाला उन्हें एक पहाड़ी पर ले गया और कभी दोबारा दिखाई नहीं दिया।
Moral of Story
शिक्षा : बुरे काम का बुरा नतीजा होता है।
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सिंदबाद – Hindi Moral Stories
सिंदबाद नामक एक बहुत ही गरीब लड़का था। धन कमाने के लिए वह नाविकों के साथ समुद्री जहाज पर चला गया।
एक दिन दुर्भाग्यवश समुद्र में जोरों का तूफान आया और जहाज डूब गया। सिंदबाद एक लट्ठ के सहारे बहता हुआ एक द्वीप पर जा पहुँचा।
उसे जोरों की भूख लगी थी। खाना ढूँढने के लिए वह एक ऊँचे खजूर के पेड़ पर चढ़ा और चारों ओर देखने लगा। दूर उसे एक बड़ा सा अंडा जैसा कुछ दिखा।
ज्योंही वह अंडे के पास पहुँचा एक बड़े से पक्षी ने आकर उसे अपने पंजे में पकड़ लिया और उड़ने लगा। गिरने के भय से सिंदबाद ने जोर से पक्षी का पैर पकड़ लिया और उड़ने लगा।
पक्षी उसे हीरों की घाटी में ले गया जिसकी कथा उसने नाविकों से सुन रखी थी। वहाँ ढेरों साँप उन हीरों की रक्षा करते थे।
चमकती घाटी को देखकर सिंदबाद के आश्चर्य का ठिकाना न रहा। शीघ्रता से उसने अपनी जेबों में हीरे भर लिए। बड़े-बड़े साँपों को चकमा देते हुए उसने एक उड़कर जाते पक्षी का पैर जोरों से पकड़ लिया।
उड़ता-उड़ता वह एक द्वीप पर पहुँचा। सौभाग्यवश वहाँ उसे अपने नाविक मित्र मिल गए। उनके साथ सिंदबाद बगदाद आ गया और सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करने लगा।
Moral of Story
शिक्षा : मुश्किलों में ही अवसर छिपे होते हैं।
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तीन बकरे – Hindi Moral Stories
किसी समय की बात है… तीन बकरे थे, नन्हा बकरा, बीच वाला बकरा और बड़ा बकरा। उन्हें हरी-हरी, नरम-नरम, मीठी घास बेहद पसंद थी। एक दिन तीनों बकरों ने पास की पहाड़ी पर उगी हरी हरी घास खाने का मन बनाया।
उस पहाड़ी पर जाने के लिए उन्हें पास ही बहती नदी पर बने एक लकड़ी के पुल को पार करना था। उस पुल के नीचे एक बौना राक्षस रहता था। वह पुल से गुजरने वालों को पकड़कर अपना भोजन बनाया करता था।
सबसे पहले नन्हा बकरा पुल पार करने लगा। उसे देखते ही बौना राक्षस चिल्लाया, "पुल के ऊपर कौन है?" मिमियाते हुए नन्हे बकरे ने कहा,
"मैं हूँ नन्हा बकरा… घास खाने जा रहा हूँ। मेरे दो भाई पीछे से आ रहे हैं। मोटा हो जाऊँ तब मुझे खा लेना।"
राक्षस ने उसे जाने दिया और दोनों बकरों की प्रतीक्षा करने लगा। उसने बीच वाले बकरे को भी जाने दिया। जब बड़ा बकरा जाने लगा तब बौना राक्षस उसे पकड़ने दौड़ा।
बड़ा बकरा सावधन था। उसके सींग बहुत बड़े, मजबूत और नुकीले थे। अपना सिर झुकाकर अपने सींग वह बौने राक्षस के पेट के पास ले गया और उसे जोर से ध्क्का मारा। बौना राक्षस नीचे बहती हुई नदी में गिरकर बह गया।
Moral of Story
शिक्षा : लालची लोग अपना ही नुकसान करते हैं।
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नटखट खरगोश – Hindi Moral Stories
बहुत पुरानी बात है… एक बड़े से पेड़ के नीचे एक मादा खरगोश अपने चार बच्चों के साथ रहती थी। एक दिन मादा खरगोश खाना पकाने के लिए सामान लाने बाजार जा रही थी।
उसने अपने बच्चों को बुलाकर कहा, "तुम लोग बाहर खेलने जा सकते हो पर श्रीमान् गुस्सैल के बगीचे की ओर भूल से भी मत जाना।" चीकू, टीटू, और मीटू, माँ की बात मानकर उछलते कूदते पास की बेरी के पास जाकर बेर चुनने लगे।
नटखट पीटू ने दौड़ लगाई और सीधा श्रीमान् गुस्सैल के फाटक के नीचे से उनके बगीचे में घुस गया। वहाँ उसने जी भरकर सलाद के पत्ते, बींस और नरम-नरम मूली का मजा लिया।
श्रीमान् गुस्सैल पत्तागोभी बो रहे थे। अचानक उनकी दृष्टि पीटू पर पड़ी। वह दिल्ली, "चोर-चोर, रुक! भागता कहाँ है?"
पीटू घबराकर इधर-उधर भागने लगा। उसका जूता आलू की क्यारी में छूट गया पर वह बचता-बचाता खिड़की से कूदकर, फाटक के नीचे से निकलकर अपने घर वापस आ गया।
माँ बाजार से लौट आई थी। उसने चीकू, टीटू और मीटू को रोटी-दूध और बेर खाने को दिया पर पीटू को बिना कुछ खिलाए सोने भेज दिया। माँ ने बिना कुछ कहे उसे उसकी शरारत की सजा दे दी थी।
Moral of Story
शिक्षा : लालच से बड़ा कोई रोग नहीं है।
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तीन सूअर – Hindi Story with Moral
एक समय की बात है, तीन सूअर थे। उन्होंने अपना घर छोड़कर कहीं दूर जाने का निश्चय किया। एक जंगल में पहुँचकर उन तीनों ने अपना-अपना घर बनाया। पहले सूअर ने फूस से अपना घर बनाया।
दूसरे ने लकड़ी का घर बनाया और तीसरे सूअर ने ईंटों से पक्का घर बनाया।
एक रात, एक भूखा भेड़िया कहीं से घूमता हुआ उधर आ गया। उसने सूअर को देखा तो उसके मुँह में पानी आ गया। गरजदार आवाज में सूअर से वह बोला,
"मुझे घर के भीतर आने दो वरना मैं अभी फूँक मारकर तुम्हारा घर उड़ा दूंगा…"और उसने जोर से फूँक मारी… फूस का घर धराशायी हो गया।
सूअर जान बचाकर भागा और लकड़ी के घर में घुस गया। भेड़िया लकड़ी के घर के पास पहुँचा और सूअर को खाने के लिए जोर से फूँक मारी।
लकड़ी का घर भी गिर गया। दोनों सूअरों ने ईंटों के घर में भागकर अपनी जान बचाई। भेड़िया अब पक्के मकान में पहुँचा। वहाँ जाकर उसने जोर-जोर से फूँक मारी पर वह घर का कुछ नहीं बिगाड़ सका।
हारकर उसने घर की चिमनी से भीतर जाने का निर्णय किया। तीसरे सूअर ने चिमनी के नीचे आग जला रखी थी। भेड़िया जब चिमनी से नीचे उतरने लगा तो आग में गिर पड़ा और वह मर गया।
Moral of Story
शिक्षा : उचित समय पर ही कार्य कर लेना बेहतर है।
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बाम्बी – Hindi Story with Moral
एक दिन एक सुंदर मृग जंगल में पैदा हुआ। उसकी माँ ने प्यार से उसका नाम बाम्बी रखा। सब बहुत खुश थे।
जब बाम्बी बड़ा हुआ तो उसने अपने पिता से जंगल के तरीके सीखे और लीडर बन गया। एक दिन एक बूढ़ा मृग जोर से चिल्लाया, "भागो, खतरा है।
बाम्बी ने दौड़-दौड़ कर अपनी जान की परवाह करे बिना बाकी जानवरों को बचाया। उसके घुटने में चोट आयी। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी।
सभी साथियों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया । सभी जानवरों की जान बच गयी। बाम्बी अब एक हीरो बन गया था।
Moral of Story
शिक्षा : हमेशा उदाहरण के द्वारा नेतृत्व करें।
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मुर्गे का घमंड – Hindi Story with Moral
दो मुर्गे अन्य जानवरों के साथ एक फार्म पर रहते थे। एक मुर्गा बोला, "मैं सब जानवरों का राजा हूँ।"
दूसरा मुर्गा उसकी बात काटते हुए बोला, "तुम नहीं, बल्कि मैं यहाँ का राजा हूँ।" पहला मुर्गा थोड़ा समझदार था।
इसलिए वह बोला, "हम दोनों लड़ाई की प्रतियोगिता रखते हैं जो इस लड़ाई में जीतेगा वही राजा बनेगा।"
दूसरा मुर्गा सहमत हो गया। फिर लड़ाई में पहला मुर्गा जीत गया। जीतने के बाद पहले मुर्गे ने अपने पंख फड़फड़ा के कहा,
"आप सबने देखा हा होगा कि में कितनी बहादुरी से लड़ा हूँ। मैं तो पहले से ही जानता था कि मे दुनिया का सबसे बलवान मुर्गा हूँ।"
एक चील ने उड़ते उड़ते उस घमंडी मुर्गे की बात सुनी और नीचे आकर उस दबोचकर अपने घोंसले में ले गई।
Moral of Story
शिक्षा: घमंडी का सिर सदा नीचा होता है.
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दो मित्र – Hindi Story with Moral
एक बार दो मित्रों को किसी काम से दूसरे गाँव जाना था। मार्ग में एक मित्र ने पेड़ पर तलवार लटकती हुई देखी। उसने आगे बढ़कर वह तलवार पकड़ ली और खुशी से चिल्लाया,"मुझे कितनी बढ़िया तलवार मिली है।"
दूसरे मित्र ने उसे टोकते हुए कहा, "हम दोनों साथ सफर कर रहे हैं, इसलिए 'मुझे' मत कहो। तुम्हें कहना चाहिए कि हमें तलवार मिली है।" "अरे नहीं। तलवार को मैंने देखा है, इसलिए यह मेरी है।"
कहकर उसने तलवार बगल में दबा ली। दोनों साथ-साथ आगे बढ़ने लगे कि तभी सामने से कुछ लोगों का झुंड आता दिखाई दिया। पास आकर उन्होंने तलवार वाले मित्र को यह कहते हुए पकड़ लिया कि "यही खूनी है।
इसे छोड़ना मत। इसे पकड़कर जेल में डाल दो ।" यह सुनकर वह बोला, "लगता है, हम किसी मुसीबत में पड़ गए हैं।" दूसरा मित्र बोला, "हम नहीं सिर्फ 'तुम' मुसीबत में फंस गए हो।"
Moral of Story
शिक्षा: हमें अपने दुःख-परेशानी ही नहीं, बल्कि खुशियाँ भी मित्रों के साथ बॉटनी चाहिए।
कपटी बाज – Hindi Story with Moral
एक बाज एक पेड़ की डाली पर रहता था। उसी पेड़ की खोह में एक लोमड़ी रहती थी।
एक दिन, जब लोमड़ी अपनी खोह से निकली तो बाज उसमें घुस गया और अपने बच्चों को खिलाने के लिए लोमड़ी के बच्चों को उठाकर ले गया।
जब लोमड़ी लौटी, तो उसने बाज से अनुरोध किया कि उसके बच्चे लौटा दे।
बाज जानता था कि लोमड़ी उसके घोंसले तक नहीं पहुंच पाएगी। उसने लोमड़ी के अनुरोध पर कोई ध्यान नहीं दिया।
लोमड़ी पास के एक मंदिर गई और वहाँ से जलती हुई लकड़ी लेकर आई। उसने पेड़ के नीचे आग लगा दी।
आग की गर्मी और धुएँ से बाज डर गया। अपने बच्चों की जान बचाने के लिए वह जल्दी से लोमड़ी के पास आया और उसके बच्चे लौटा दिए।
निर्दयी व्यक्ति जिनका दमन करता है, उनसे उसे हमेशा खतरा रहता हैं।
बारहसिंगा की भूल – Hindi Story with Moral
एक जंगल में एक बारहसिंगा रहता था। उसे अपने खूबसूरत सींगों पर बहुत घमंड था। जब भी वह पानी पीते हुए नदी में अपनी परछाई देखता तो सोचता, 'मेरे सींग कितने सुंदर हैं, पर मेरी टांगें कितनी पतली और भद्दी हैं।'।
एक दिन उस जंगल में कुछ शिकारी आए। उन्होंने जब सुंदर सींगों वाले बारहसिंघा को देखा तो वे उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़े। बारहसिंगा बहुत तेजी से दौड़ता हुआ शिकारियों से काफी दूर निकल गया।
तभी अचानक उसके सींग एक पेड़ की शाखा में अटक गए। बारहसिंगा अपने सींग छुड़ाने की भरसक कोशिश कर रहा था, पर सींग थे कि निकल ही नहीं रहे थे। उधर शिकारी लगातार पास आते जा रहे थे।
बड़ी मुश्किल से उसने सींग छुड़ाए और वहाँ से जान बचाकर भागा। सुरक्षित स्थान पर पहुँचकर वह सोचने लगा, 'मैं भी कितना बड़ा मूर्ख हूँ। जिन सींगों की सुंदरता पर मैं इतना घमंड करता था,
आज उनकी वजह से मैं भारी संकट में फँस गया था और जिन टांगों को मैं बदसूरत कहकर कोसा करता था उन्हीं टांगों ने आज मेरी जान बचाई है।
Moral of Story
शिक्षा: सूरत नहीं सीरत देखनी चाहिए।
स्वार्थी बकरी – Hindi Story with Moral
एक दिन एक बैल के पीछे एक शेर पड़ गया। काफी देर तक बैल भागता रहा और अंतत: उसे एक गुफा दिखाई दी। वह झट से गुफा में घुस गया। गुफा में एक बकरी रहती थी।
उसने बैल को गुफा से बाहर निकलने का आदेश दिया और सींगों से उसे बाहर की ओर धकेलने लगी। बैल बोला, "एक शेर मेरा पीछा कर रहा है और मैंने उससे बचने के लिए यहाँ शरण ली है।
जैसे ही वह निकल जाएगा, मैं भी यहाँ से चला जाऊंगा।" बकरी ने उसकी एक नहीं सुनी और उसे सींग मारते हुए बोली, "मैं कुछ नहीं जानती, बस तुम यहाँ से निकल जाओ।"
बैल जब बकरी को समझाते-समझाते थक गया तो बोला, "मैं तुम्हारी बदतमीजी सहन कर रहा हूँ तो यह मत समझना कि मैं तुमसे डरता हूँ। इस शेर को यहाँ से निकल जाने दो, उसके बाद तुम्हें बताऊंगा कि मैं कितना बड़ा और ताकतवर हूँ।"
Moral of Story
शिक्षा: मुसीबत के समय दूसरों की मदद करनी चाहिए, न कि उन्हेंअनावश्यक रूप से परेशान करना चाहिए।
Top 10 Moral Stories in Hindi
टूटा सींग
एक दिन शाम को चारागाह से घर लौटने के लिए चरवाहे ने अपनी बकरियों को आवाज लगाकर इकट्ठा किया। सभी बकरियाँ लौट आईं, बस एक बकरी चरवाहे की आवाज को अनसुना करके मस्ती से घास चरती रही।
यह देखकर उसे बहुत गुस्सा आया और उसने गुस्से में एक पत्थर उठाकर बकरी पर दे मारा। पत्थर बकरी के सींग पर लगा और सींग टूट गया। यह देखकर चरवाहा बुरी तरह डर गया और बकरी के आगे गिड़गिड़ाने लगा,
"मेरी अच्छी बकरी! तुम मालिक को मत बताना कि मैंने पत्थर मारकर तुम्हारा सींग तोड़ा है। वरना वह मुझे नौकरी से निकाल देगा।" बकरी बोली, "ठीक है, मैं मालिक से कुछ नहीं कहूंगी।" पर वह मन ही मन सोच रही थी,
'मैं मालिक से इसकी शिकायत नहीं करूंगी, पर भला टूटा सींग कैसे छिपा सकती हूँ। वह तो दिखेगा ही।' चरवाहा जब बकरियाँ लेकर घर पहुचा तो बकरी का टूटा सींग मालिक की नजर में पड़ गया और गुस्से में आकर उसने चरवाहे को तुरंत नौकरी से निकाल दिया।
Moral of Story
शिक्षा : क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है।
कोयल और चिड़िया
एक खेत के किनारे एक विशाल वृक्ष था। उसकी एक शाखा पर एक कोयल ने अपना घोंसला बनाया हुआ था। वहाँ पर उसे और उसके बच्चों को आँधी बरसात और सर्दी-गर्मी झेलनी पड़ती थी।
एक छोटी चिड़िया उसे मौसम की मार सहते देखती तो उसे उस पर बड़ी दया आती। एक दिन छोटी चिड़िया उससे बोली,"बहन! मैं हमेशा तुम्हें मौसम की मार झेलते हुए देखती हूँ और मुझे तुम पर बड़ी दया आती है।
मैं तो आराम से लोगों के घरों के अंदर अपना घोंसला बनाकर रहती हूँ। वहाँ पर मुझे सर्दी-गर्मी और बरसात आदि की मार नहीं झेलनी पड़ती।
तुम्हें भी ऐसा ही करना चाहिए।" इस पर कोयल बोली, "यदि मैंने लोगों के घरों में अपना घोंसला बनाया तो लोग मुझे और मेरे बच्चों को मारकर खा जायेंगे। मैं कभी भी वहाँ पर रहने के बारे में नहीं सोच सकती।"
Moral of Story
शिक्षा : थोड़े से सुख के लिए जान जोखिम में डालना बुद्धिमानी नहीं है।
कंटीली झड़बेरी
एक लोमड़ी ने एक खेत में पके हुए सीताफल देखे। उसने खेत के चारों ओर चक्कर लगाकर घुसने का रास्ता खोजा, परंतु इसके चारों ओर बाड़ लगी हुई थी। इसलिए अंदर जाने के लिए उसे बाड़ को लांघना था।
वह जैसे ही उसे लांघने लगी, उसका संतुलन बिगड़ गया और वह झड़बेरी के काँटेदार पौधों में जा गिरी। उसके हाथ-पैरों से खून निकलने लगा। वह गुस्से से झड़बेरी के पौधों पर चिल्लाने लगी, "देखो! यह तुमने क्या किया है।
तुम्हारे काँटे चुभने के कारण मेरे हाथ-पैरों से खून निकलने लगा है और मैं दर्द से छटपटा रही हूँ।" झड़बेरी के पौधे बोले,"तुम अकेली हो जो हमारी वजह से घायल हुई हो।
सभी लोग जानते हैं कि झड़बेरी काँटेदार पौधा होता है। इसलिए अपनी लापरवाही का आरोप हम पर मत लगाओ।हमारी इसमें कोई गलती नहीं है।"
Moral of Story
शिक्षा: लापरवाही से ही दुर्घटना होती है।
बंदर राजा
एक बार जंगल में राजा चुने जाने के लिए चुनाव हुए। चुनाव के लिए सभी जानवरों ने अपनी-अपनी प्रतिभा दिखाई और अंत में बंदर का नाच सब जानवरों को पसंद आया।
अब सबने एकमत से फैसला करके बंदर को ही अपना राजा घोषित कर दिया। लेकिन लोमड़ी को बंदर का राजा बनना अच्छा नहीं लगा, इसलिए वह उसे नीचा दिखाने के लिए मौका तलाशने लगी।
एक दिन उसे यह मौका मिल ही गया। उसने जंगल में किसी शिकारी द्वारा छोड़ा गया फंदा देखा। गोल किए हुए फंदे में थोड़ी-सी खाने की वस्तुएँ रखी थीं।
लोमड़ी बंदर से बोली, "राजन्! मैंने आपको भेंट करने के लिए कुछ खाने की चीजें रखी हैं।आप इन्हें खाएंगे तो मुझे खुशी होगी।" बंदर ने जैसे ही खाने की चीजें देखीं, वह तुरंत उनकी ओर झपटा और फंदे में फँस गया।
लोमड़ी ने सभी जानवरों को बुलाकर फंदे में फँसा बंदर दिखाते हुए कहा, "यह बंदर जब अपनी रक्षा नहीं कर सकता तो हमारी रक्षा कैसे करेगा? यह राजा बनने के योग्य नहीं है।"
Moral of Story
शिक्षा : हमें हर काम अपने विवेक से करना चाहिए।
समझदार जुलाहा
एक जुलाहा था। एक कोयले का व्यापारी उसके पड़ोस में ही रहता था। जुलाहा अपनी छोटी-सी झोपड़ी में रहकर कपड़ा बुनता था। जबकि कोयले का व्यापारी नजदीक ही एक काफी बड़े कमरे में रहकर कोयले का व्यापार करता था।
एक दिन कोयले के व्यापारी ने जुलाहे से कहा, "तुम इतने छोटे-से कमरे में रहते हो। चाहो तो मेरे कमरे में आकर रह सकते हो। तुम्हें मुझे किराया भी नहीं देना पड़ेगा और रहने को अच्छी व खुली जगह भी मिल जाएगी।"
जुलाहे ने बड़ी नम्रता से कहा,"श्रीमान्! आपने मेरी मदद करनी चाही, इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ! पर मैं आपके साथ नहीं रह सकता,
क्योंकि हम दोनों का काम बिल्कुल अलग है। आपके कमरे में मेरी रूई और कपड़े कोयले के कालेपन से मैले हो जाएंगे, इसलिए मैं अपनी झोंपड़ी में ही खुश हूँ।"
Moral of Story
शिक्षा: मित्रता सोच-समझकर ही करनी चाहिए।
आदमी और शेर
एक आदमी और एक शेर में गहरी दोस्ती थी। वे प्राय: हर रोज मिलते और साथ ही घूमते-फिरते। एक दिन वे दोनों गपशप करते हुए एक नगर में जा पहुंचे।
वहाँ उन्होंने एक मूर्ति देखी, जिसमें आदमी ने शेर को दबोचा हुआ था। उसे देखकर दोनों इस बात पर चर्चा करने लगे कि आदमी और शेर में कौन ज्यादा ताकतवर है?
शेर कह रहा था कि वह ज्यादा ताकतवर है और आदमी अपने को ज्यादा ताकतवर बता रहा था। आदमी ने मूर्ति की ओर इशारा करके कहा, "देखो!
उस मूर्ति से भी यही सिद्ध होता है कि आदमी ज्यादा ताकतवर है।" यह सुनकर शेर मुस्कुराकर बोला, "यदि शेर मूर्ति बनाना जानते तो आदमी शेर के पंजों के नीचे होता।"
Moral of Story
शिक्षा: हमें व्यर्थ की बहस नहीं करनी चाहिए।
चूहा और बिल्ली
एक घर में बहुत चूहे हो गए थे। वे घर का कीमती सामान कुतर देते थे। घर का मालिक इन चूहों से परेशान होकर एक बिल्ली ले आया। बिल्ली उस घर में आकर बहुत खुश थी, क्योंकि मालकिन उसे सुबह-शाम कटोरा भर दूध देती।
बिल्ली दिनभर चूहों को मारती और उन्हें खा जाती। इस तरह मालिक तो खुश था ही, उसके दिन भी खूब मौज-मस्ती में बीत रहे थे। लेकिन घर में बिल्ली के आने से चूहे काफी परेशान थे।
पहले तो वे निडर होकर जहाँ-तहाँ घूमते थे, पर अब उन्हें सावधान रहना पड़ता था। बिल्ली के डर से वे सारा दिन अपने बिल में घुसे रहते थे। इससे बिल्ली काफी परेशान थी। एक दिन जब बिल्ली के हाथ एक भी चूहा नहीं लगा तो वह लकड़ी के एक तख्ते पर बेसुध होकर लेट गई। उसने सोचा कि चूहे उसे मरा हुआ समझकर उसके पास आएंगे और वह उन्हें पकड़ लेगी।
पर चूहे बिल्ली की चाल समझ गए और बिल में ही छिपे रहे। शाम को एक चूहा बाहर निकलकर बोला, "बिल्ली मौसी! हम जानते हैं कि तुम नाटक कर रही हो इसलिए हम तुम्हारे पास नहीं आएंगे।" मायूस होकर बिल्ली स्वयं ही वहाँ से उठ गई।
Moral of Story
शिक्षा: खतरे को दूर से भाँप लेना ही अक्लमंदी है।
मूर्ख ज्योतिषी
एक शहर में एक ज्योतिषी रहता था। वह हर समय आकाश में स्थित ग्रह-नक्षत्रों की चाल देखता रहता था और फिर उनकी गणना में उलझा रहता।
एक अंधेरी रात में वह आकाश की ओर देखता हुआ चल रहा था कि अचानक उसका पैर फिसला और वह एक कुएँ में जा गिरा। कुआँ सूखा हुआ था और ज्यादा गहरा भी नहीं था।
उसके अंदर से वह लोगों से मदद के लिए गुहार लगाने लगा, "बचाओ, बचाओ ! मैं कुएँ में गिर गया हूँ। कोई तो मुझे बाहर निकालो।" एक राहगीर उसकी आवाज सुनकर रुका।
वह कुएँ के पास गया और उसमें झाँककर देखा तो वहाँ ज्योतिषी गिरा हुआ था। उसने ज्योतिषी से कहा,"अरे! ज्योतिषी महाराज,
आप तो सब लोगों की ग्रह- दशा बताते हैं। फिर क्या कारण है कि आप अपना भविष्य नहीं देख पाए और चलते-चलते कुएँ में गिर पड़े?" यह कहकर वह हँसता हुआ आगे चला गया।
Moral of Story
शिक्षा: एक समय में एक ही काम करना चाहिए।
भेड़िया और मेमना
एक भेड़िए ने एक मेमने को देखा, तो उसे खाने की योजना बनाने लगा। वे दोनों एक छोटी नदी के पास खड़े थे।
भेड़िए ने मेमने से कहा, "तुमने इस पानी को गंदा करने का साहस कैसे किया? यह मेरे पीने का पानी है।" "पानी तो तुम्हारी ओर से बह रहा है," सीधे-सादे मेमने ने जवाब दिया।
"अरे!" भेड़िया आगे बोला, "चलो ठीक है, लेकिन पिछले साल तुमने मेरे साथ असभ्यता क्यों की थी?
तुम सबके सामने मेरा नाम लेकर बुला रहे थे।" हैरान-परेशान मेमने ने जवाब दिया, "मैं तो तब पैदा भी नहीं हुआ था।"
"अच्छा," भेड़िया चालाकी से बात बदलते हुए बोला, "तो तुम्हारी माँ ने मेरा नाम लिया होगा। अपनी माँ के अपराध के लिए तुम्हें दंड भुगतना पड़ेगा।"
इतना कहकर भेड़िया मेमने पर टूट पड़ा।
Moral of Story
शिक्षा: अत्याचारी हमशा कोई न कोई बहाना तलाश ही लेता है और कमजोर व्यक्ति का कोई तर्क उसके सामने नहीं चल पाता।
मूर्ख कबूतर
एक बार एक भूखा बाज कबूतरों के झुंड पर झपटा। कबूतरों का झुंड हमेशा उसकी पकड़ से बच निकलता था।
सारे कबूतर उस बाज से भयभीत रहते थे और उसके आक्रमण से बचने के लिए सतर्क रहते थे ।
बाज काफी दिनों से उन पर नजरें गड़ाए था। उसने एक योजना बनाई और कबूतरों के पास जाकर बोला,
"इस तरह से डर-डरकर जीने से क्या लाभ? इससे अच्छा तो यही है कि तुम लोग मुझे अपना राजा बना दो ताकि मैं हर तरह के संकट से तुम लोगों की रक्षा कर सकूँ ।"
कबूतरों को यह बात पसंद आई। उन्हें लगा कि बाज उनकी भलाई चाहता है। उन्होंने बाज को अपना राजा बना दिया।
राजा बनते ही बाज ने एक-एक करके सारे कबूतरों को खाना शुरू कर दिया।
Moral of Story
शिक्षा: कुछ उपाय संकटों से भी बुरे होते हैं।
चीता और लोमड़ी
एक चीता और एक लोमड़ी एक वन में एक साथ रहते थे। वे बहुत अच्छे मित्र थे और छोटी-मोटी बातों पर कभी नहीं झगड़ते थे।
हालाँकि, एक दिन, बातों ही बातों में उन दोनों के बीच बहस हो गई और दोनों ने निश्चय किया कि यह फैसला किया जाए कि दोनों में से कौन अधिक सुंदर है।
चीते ने पहले जोर देकर कहा कि वही अधिक सुंदर है क्योंकि उसके पास आकर्षक पीले रंग की त्वचा है।
उसने अपनी प्रशंसा जारी रखते अपने काले धब्बों का जिक्र किया। हुए लोमड़ी पूरी बात ध्यान से सुनती रही और सहमति जताती रही ।
इसके बाद, जब उसकी बारी आई तो वह बोली, "ठीक है, तुम मुझसे अधिक सुंदर हो। तुम्हारे पास पीले रंग की काले धब्बों वाली चमकीली त्वचा है।
लेकिन मुझे लगता है कि मेरा चतुर दिमाग तुम्हारे सुंदर शरीर से अधिक महत्वपूर्ण है।"
शेर और तीन बैल
एक बार की बात है। तीन बैल आपस में बहुत अच्छे दोस्त थे। वे साथ मिलकर घास चरने जाते और बिना किसी राग-द्वेष के हर चीज आपस में बाँटते थे।
एक शेर काफी दिनों से उन तीनों के पीछे पड़ा था, लेकिन वह जानता था कि जब तक ये तीनों एकजुट हैं, तब तक वह उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
शेर ने उन तीनों को एक-दूसरे से अलग करने की चाल चली। उसने बैलों के बारे में अफवाहें उड़ानी शुरू कर दीं। अफवाहें सुन सुनकर उन तीनों के बीच गलतफहमी पैदा हो गई।
धीरे-धीरे वे एक-दूसरे से जलने लगे। आखिरकार एक दिन उनमें झगड़ा हो गया और वे अलग-अलग रहने लगे। शेर के लिए यह बहुत अच्छा अवसर था। उसने इसका पूरा लाभ उठाया और एक-एक करके तीनों को उसने मार डाला और खा गया।
Moral of Story
शिक्षा: एकता में ही शक्ति होती है।
व्यापारी के बेटे की कहानी – Story in Hindi with Moral
एक व्यापारी के बेटे ने 100 रुपए में एक किताब खरीदी। उसमें केवल एक वाक्य लिखा था, 'आदमी को वही मिलता है, जो उसके भाग्य में लिखा होता है ।
व्यापारी अपने बेटे की मूर्खता पर बहुत क्रोधित हुआ और उसने उसे घर से निकाल दिया। लड़का दूसरे नगर चला गया और वहाँ उसने एक नया नाम प्राप्त रखकर नया जीवन आरंभ कर दिया।
नगर की राजकुमारी चंद्रावती एक सुंदर योद्धा से प्रेम करती थी। उसने अपनी दासी से योद्धा से मुलाकात का प्रबंध कराने को कहा। दासी ने चुपके से रात के समय योद्धा को महल में आमंत्रित किया।
उसने योद्धा से कहा कि वह दीवार से रस्सी की सहायता से महल की दीवार पर चढ़ जाए।
योद्धा की दिलचस्पी राजकुमारी से मिलने में थी नहीं, इसलिए उसने इन्कार कर दिया। इस बीच, प्राप्त ने दीवार पर लटकी हुई रस्सी देख ली और उसे पकड़कर दीवार पर चढ़ गया। इस तरह वह सीधे राजकुमारी के शयन कक्ष में पहुँच गया।
राजकुमारी ने उसे ही योद्धा समझ लिया और बोली, "हे सुंदर सिपाही, मैं तुमसे प्रेम करने लगी हूँ।" इस पर प्राप्त ने जवाब दिया, "आदमी को वही मिलता है, जो उसके भाग्य में लिखा होता है।"
राजकुमारी को महसूस हुआ कि यह युवक वह योद्धा नहीं है। उसने उसे चले जाने को कह दिया। प्राप्त महल से निकल गया और एक मंदिर में सोने चला गया। वहीं पर नगर का मुखिया एक गोपनीय बैठक करने आया। उसने प्राप्त को सोने के लिए अपने घर भेज दिया।
जब प्राप्त मुखिया के घर पहुँचा तो उसकी बेटी विनयवती ने उसे अपना होने वाला पति समझ लिया और उससे विवाह की व्यवस्था करने लगी। दोनों की गाँठ बँधने से पहले विनयवती ने प्राप्त से कुछ कहने को कहा।
प्राप्त ने आदमी के भाग्य के बारे में अपना पुराना कथन दुहरा दिया। उसकी बात सुनकर विनयवती नाराज हो गई और उसे तुरंत वहाँ से जाने को कह दिया।
प्राप्त एक बार फिर सड़क पर आ गया। उसकी निगाह एक बारात पर पड़ी, जिसमें एक हाथी पागल हो गया था और हर किसी पर हमला कर रहा था। दूल्हा अपनी बारात समेत वहाँ से डरकर भाग निकला।
प्राप्त ने देखा कि वहाँ डरी-सहमी दुल्हन अकेली बैठी है । वह आगे बढ़ा और बहादुरी के साथ हाथी को सँभाल लिया इस बीच, सब कुछ शांत हो गया।
दुल्हन का पिता भी बारात के साथ वहाँ लौटकर आ गया। उसकी बेटी ने उससे कहा, "इस वीर पुरुष ने मुझे पागल हाथी से बचाया है। मैं अब और किसी से नहीं, बल्कि इसी से विवाह करूँगी।"
शोरगुल सुनकर, राजकुमारी और राजा भी विवाह-स्थल पर पहुँच गए। मुखिया की बेटी भी वहाँ पहुँच गई और देखने लगी कि वहाँ क्या हो रहा है। राजा ने प्राप्त से कहा कि वो पूरी बात निडर होकर बताए। प्राप्त ने हमेशा की तरह अपना भाग्य के बारे में कथन दुहरा दिया।
प्राप्त का वाक्य सुनकर राजकुमारी का माथा ठनका। मुखिया की बेटी को भी प्राप्त से हुई मुलाकात याद आ गई। राजा, मुखिया और व्यापारी, तीनों ने अपनी-अपनी बेटियों का विवाह प्राप्त के साथ कर दिया।
राजा ने उसे उपहार के रूप में एक हजार गाँव दे दिए। सबने यह बात मान ली कि भाग्य में जो लिखा है, उसे कोई नहीं बदल सकता।
मूर्ख कौआ – Story in Hindi with Moral
एक पहाड़ी की चोटी पर एक बाज रहता था। घाटी में एक बरगद के पेड़ पर एक कौआ अपना घोंसला बनाकर रहता था।
कौआ मूर्ख और आलसी था तथा वह भोजन की तलाश में कोई मेहनत नहीं करना चाहता था। वह सोचा करता था कि उसे उसी पेड़ के नीचे एक बिल में रहने वाले खरगोश खाने को मिल जाएँ। बाज कभी-कभी ऊपर से झपट्टा मारकर खरगोशों का शिकार किया करता था।
खरगोशों का स्वादिष्ट माँस खाने के विचार से ही कौए के मुँह में पानी आने लगा।
एक दिन, उसने निश्चय किया कि वह भी बाज की तरह की खरगोश का शिकार करेगा। अगले दिन कौआ बहुत ऊँचाई तक उड़ा और जब उसकी निगाह एक खरगोश पर पड़ी,
तो उसने वहाँ से नीचे आकर एकदम से झपट्टा मारकर उसे पकड़ने की कोशिश की। खरगोश ने कौए को देख लिया और एक चट्टान के पीछे छिप गया।
कौआ एकदम से नीचे आया और चट्टान से टकरा गया । उसकी वहीं पर मौत हो गई। किसी ने सच ही कहा है, कि किसी की बिना सोचे-समझे नकल नहीं करनी चाहिए।
Moral of Story
शिक्षा: अपनी क्षमता और कौशल पर भी ध्यान देना चाहिए।
सुंदर ऊँट – Story in Hindi with Moral
एक दिन, एक निर्धन ग्रामीण को तीन ऊँट मिले-दो बच्चे थे और एक उनकी माँ थी। ग्रामीण तीनों को घर ले आया और उनकी देखभाल करने लगा।
वह तीनों को घास चराने के लिए जंगल ले जाता, नहलाने के लिए नदी ले जाता। वह सोचने लगा, "इन ऊँटों को बड़ा हो जाने दो। इनसे और बहुत सारे ऊँट पैदा होंगे।
इस तरह से मेरे पास बहुत सारे ऊँट हो जाएँगे। तब मैं ऊँटों का व्यापार शुरू कर दूँगा। मेरी निर्धनता दूर हो जाएगी।" जब भी वह अपने ऊँटों की सवारी करता,
उसके पड़ोसी उससे ईर्ष्या करने लगते। कुछ ही वर्षों में, उसके पास सचमुच बहुत ऊँट हो गए। वह धनी बन गया। गाँव वाले उससे जलते थे। एक दिन, उसके ईष्र्यालु पड़ोसी ने उससे कहा,
"तुम्हारे ऊँट चरने जाते हैं। तुम्हें कैसे पता लगेगा कि ऊँट कहाँ घूम रहे हैं? तुम उनकी गर्दन में घंटी क्यों नहीं बाँध देते?" ग्रामीण ने अपने एक ऊँट की गर्दन में घंटी बाँध दी।
एक दिन वह ऊँट जंगल में घूम रहा था। उसकी घंटी लगातार बज रही थी। एक बाघ को घंटी की आवाज सुनाई दी। आवाज सुनकर वह बाघ ऊँट पर झपट पड़ा और उसे मारकर खा गया।
इस प्रकार, उस ग्रामीण को अपने ईज़्यालु पड़ोसी की सलाह बिना सोचे-समझे मानने की वजह से हानि उठानी पड़ी।
केकड़ा और उसकी माँ – Story in Hindi with Moral
एक दिन केकड़े की माँ उसे लेकर समुद्र तट पर घूमने गई। जब वे चल रहे थे, तो माँ ने कहा, "अरे, बेटा, तुम चलते समय अपने पैर अंदर की ओर क्यों मोड़ लेते हो?
" केकड़े का बच्चा बोला, "माँ, तुम चलकर दिखाओ न।" केकड़े की माँ यह जानकर बड़ी प्रसन्न हुई कि उसका बेटा सीखना चाहता है। "मैं दिखाती हूँ, मेरे बेटे।
अब पीछे रहो और ध्यान से देखो," केकड़े की माँ बोली। इतना कहकर केकड़े की माँ ने अपनी एक टाँग खींची, उसका निचला हिस्सा बाहर की ओर मोड़ा और आगे बढ़ने का प्रयास किया।
जब उसने ऐसा किया तो उसका पैर उलझ गया और वह नाक के बल गिर पड़ी!
Moral of Story
शिक्षा: जो काम आप स्वयं करके न दिखा पाओ, उसे दूसरों से करने को नहीं कहना चाहिए।
मुर्गे को मिल गया गाना – Story in Hindi with Moral
एक मुर्गे को बहुत भूख लगी थी। वह भोजन की तलाश में गया। वह अपने खाने के लिए अनाज के दानों की तलाश में जमीन कुरेदने लगा।
जमीन में गड़ा उसे एक गहना मिल गया। गहना काफी महँगा और बड़ा था। मुर्गा उसे देखकर आश्चर्य में पड़ गया। उसने गहना उठा लिया और अपने आप से बोला,
"यह कितना सुंदर है! यह बहुत ही मूल्यवान होगा। सारी दुनिया इसे पाना चाहेगी।" कुछ देर बाद वह सोचने लगा, "मैं भूखा हूँ और मुझे खाना चाहिए।
इस गहने का मैं क्या करुँगा? अभी तो अनाज का दाना मेरे लिए गहने से अधिक मूल्यवान होगा । यह गहना तो अभी मेरे लिए बेकार है।" उसने वह गहना वहीं छोड़ दिया और दूसरी जगह जाकर जमीन खोदने लगा।
Moral of Story
शिक्षा: वास्तव में कोई चीज तुम्हारे लिए तभी मूल्यवान हो सकती है, जब वह तुम्हारे लिए उपयोगी हो।
बुद्धिमान लोमड़ी – Story in Hindi with Moral
एक भूखी लोमड़ी जंगल में भटक रही थी। उसे एक मरा हुआ हाथी दिखाई दिया। वह अपना पेट भरने के लिए उस पर झपट पड़ी लेकिन उसके दाँत हाथी की मोटी खाल को काट नहीं पाए ।
उसने सोचा कि किसी नुकीले दाँतों वाले जानवर को साथ मिला लेना चाहिए, जिससे उसे कुछ तो हिस्सा मिल ही जाए।
वह शेर के पास गई और कहने लगी, "महाराज, मैंने एक हाथी मारा है। चलिए उसे खा लीजिए। " लोमड़ी का आमंत्रण सुनकर शेर क्रोधित हो गया। "मैं किसी दूसरे के मारे हुए जानवर का मॉस छूता तक नहीं," वह गुर्राकर बोला।
बेचारी लोमड़ी एक बाघ के पास गई और उससे बोली, "महाराज, शेर ने एक हाथी मारा है। अब वह नहाने गया है और माँस की रखवाली मैं कर रही हूँ। चलिए, आप उस माँस को खा लीजिए । " बाघ ने भी कोई दिलचस्पी नहीं ली और वहाँ से चला गया।
आखिर में, लोमड़ी एक भेड़िया के पास गई। भेड़िया उसकी बात मान गया। जब भेड़िए ने अपने दाँतों से हाथी की खाल काटी तभी शेर वहाँ से गुजरा।
शेर को देखकर भेड़िया भाग निकला। लोमड़ी का तो मन वैसे भी किसी और को हाथी का माँस खिलाने का नहीं था। उसने छककर माँस खाया।
शनि, मंगल और शुक्र – Story in Hindi with Moral
शनि, मंगल और शुक्र, तीनों देवों ने निश्चय किया कि वे एक-एक चीज ऐसी बनाएं, जो एकदम संपूर्ण हो। शनि ने मनुष्य को बनाया| मंगल ने बैल बनाया और शुक्र ने एक मकान बनाया।
अब उन लोगों ने नारद मुनि को बुलाया और उनसे निर्णय करने को कहा कि इन तीनों में से कौन संपूर्ण है। नारद ने बैल से शुरुआत की और उसमें कमी ये पाई कि उसके सींग आँखों से ऊपर है।
"इस कारण बैल अपने सींग तो देख ही नहीं पाएगा," नारद ने कहा। अब बारी मनुष्य की थी। नारद मुनि ने पाया कि मनुष्य भी संपूर्ण नहीं है क्योंकि उसकी छाती में खिड़कियाँ नहीं हैं जिस कारण उसके अंदर के विचार बाहर नहीं आ सकते।
अब बारी मकान की आई। मकान में नारद ने कमी पाई कि उसमें पहिए नहीं हैं, जिस कारण वह चल-फिर नहीं सकता। यह सुनकर शनि ने कहा, "आपके जैसा गलतियाँ गिनाने वाला कभी संतुष्ट नहीं हो सकता।
Moral of Story
शिक्षा: दूसरों की गलतियाँ तब गिनाइए, जब आप स्वयं कोई ऐसी चीज बना लें जिसमें कोई कमी न हो।"
जंगली सुअर और लोमड़ी – Story in Hindi with Moral
एक जंगली सुअर एक पेड़ के तने से घिस-घिसकर अपने दाँत नुकीले कर रहा था। एक लोमड़ी ने उसे देखा तो सोचने लगी कि जब इसके सामने लड़ने के लिए कोई है ही नहीं,
तो यह मूर्ख जानवर क्यों लड़ाई की तैयारी कर रहा है। वह सुअर के पास गई और पूछने लगी, "दोस्त, तुम अपने दाँत नुकीले क्यों कर रहे हो? आस-पास देखो जरा ।
क्या यहाँ कोई शिकारी या खतरनाक जानवर है? अरे, यहाँ तो किसी तरह का खतरा है ही नहीं। मेरे हिसाब से तो तुम बेकार में मेहनत कर रहे हो। "
सुअर ने उसकी ओर देखा और आराम से जवाब दिया, "अरे मेरी दोस्त! खतरा बताकर नहीं आता। वह तो अचानक ही आ जाता है।
जब खतरा आएगा तो मुझे दाँत नुकीले करने का समय नहीं मिलेगा । तुम तो जानती ही हो कि जब लड़ाई का बिगुल बज जाए, तब तलवारों की धार नुकीली करने का समय नहीं मिलता।"
मूर्ख कौआ – New Moral Stories in Hindi
एक कौए ने एक हंस को देखा। कौआ तो पूरा काला ही था, इसलिए उसे हंस का सुंदर सफेद रंग बहुत अच्छा लगा। वह स्वयं को उसी हंस की तरह सफेद बनाना चाहता था।
उसने सोचा कि अगर वह भी हंस की तरह तालाब में रहने लगेगा तो वह भी सफेद हो जाएगा। बस फिर क्या था! वह अपना घर छोड़कर तालाब की ओर उड़ चला।
उसने पानी में डुबकी लगाई और बार-बार अपना तन साफ करने लगा, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। बेचारे कौए को दोहरी निराशा हो रही थी।
पुराने घर में तो उसे खाने-पीने का सामान आसानी से मिल जाता था, जो कि यहाँ नहीं मिल रहा था, दूसरे उसका रंग भी सफेद नहीं हुआ। भूख और दुख से उसकी जल्द ही मौत हो गई।
Moral of Story
शिक्षा: निवास का स्थान बदलने से स्वभाव नहीं बदल जाता।
मूर्ख बकरी – New Moral Stories in Hindi
एक दिन एक लोमड़ी एक गहरे कुएँ में गिर पड़ी। कुछ ही देर में एक बकरी उसी कुएँ पर पानी पीने आई। पानी में तैरती लोमड़ी देखकर उसे बड़ा आश्चर्य हुआ।
लोमड़ी ने भी योजना बनाई कि किसी तरह से बकरी की सहायता से अपने को बचाना चाहिए। वह चिल्लाई "अरे बकरी! तुम्हें पता है, मैं यहाँ कुएँ में क्यों उतरी हूँ? कुएँ के अंदर आकर ही बढ़िया पानी पिया जा सकता है।
देखो! मैं जी भरकर पानी पी रहा हूँ और मजे कर रही हूँ। लोमड़ी की बातें सुनकर बकरी लालच में आ गई। वह भी कुएँ में कूद पड़ी।
लोमड़ी ने तुरंत बकरी को पकड़ा और थोड़ी-सी मेहनत के बाद वह कुएँ से बाहर निकलने में सफल हो गई। बेचारी बकरी कुएँ में डूबने लगी और सहायता के लिए चिल्लाने लगी,
"तुम मूर्ख हो। छलाँग लगाने से पहले हमेशा अच्छी तरह से देख तो लेना चाहिए । तुमने इस पर ध्यान नहीं दिया, इसलिए तुम्हें दंड मिलना ही चाहिए। "
कौआ चला मोर बनने – New Moral Stories in Hindi
एक कौए ने बहुत सारे मोर पंख इकट्टे किए और उन्हें अपने तन पर लगा लिए। उसे अपना नया रूप बहुत अच्छा लगा और उसने निश्चय किया कि अब वह कौओं के साथ नहीं, बल्कि मोरों के साथ रहेगा।
इसके बाद वह अपने पुराने साथियों का तिरस्कार करके वहाँ से चला गया और मोरों के झुंड में मिलने की कोशिश करने लगा। हालाँकि, मोरों ने तुरंत पहचान लिया कि उनके बीच में एक कौआ आ गया है ।
उन्होंने अपनी चोंचों से नोंच-नोंचकर कौए के तन पर लगे मोर पंख नोंच डाले और उसका मखौल उड़ाने लगे। अपमानित और दुखी कौआ भारी मन से अपने घर वापस लौट आया।
सारे साथी कौए सिर हिलाते उसके पास आ पहुँचे और कहने लगे, "तुम बहुत ही नीच जीव हो! अगर तुम अपने ही पंखों से संतुष्ट रहते तो तुम्हें दूसरों से इस तरह का अपमान नहीं सहना पड़ता और न ही तुम्हारे अपने लोगों के बीच तुमसे घृणा की जाती।"
शेर और लोमड़ी – New Moral Stories in Hindi
एक शेर, एक लोमड़ी और एक गधा शिकार के लिए निकले। जब वे जंगल में घूम रहे थे, तो उन्हें एक बारहसिंघा मिला। तीनों ने मिलकर बारहसिंघे का पीछा किया और उसे मार डाला।
अब तीनों ने उसे आपस में बाँटने का निश्चय किया। गधा आगे आया और उसने बारहसिंघे के माँस को तीन हिस्सों में बाँट दिया। शेर कुछ नाराज हुआ क्योंकि वह सबसे बड़ा हिस्सा चाहता था।
वह गधे पर झपटा और उसे वहीं मार डाला। शेर ने अब लोमड़ी से माँस बाँटने को कहा। लोमड़ी बहुत बुद्धिमान थी। उसने माँस की सारी बोटियाँ इकट्ठी की और उसमें से कुछ अपने लिए अलग रख लीं। शेर बहुत प्रसन्न हुआ।
उसने लोमड़ी से पूछा, "तुम्हें हिस्से बाँटने की कला किसने सिखाई?" लोमड़ी हँसते हुए बोली, "महाराज, इस गधे के भाग्य ने!"
Moral of Story
शिक्षा: स्वयं गलती करके सीखने के बजाय दूसरों की गलतियों से सीखना बेहतर होता है।
रेत भरी सड़क – New Moral Stories in Hindi
एक दिन एक व्यापारी ने व्यापार करने के लिए शहर जाने का निश्चय किया। उसने अपने साथ कुछ और लोगों को भी ले लिया। शहर जाने के लिए उन्हें रेगिस्तान से गुजरना था।
जब वे लोग रेगिस्तान पहुंचे, तो उन्हें बहुत गर्मी लगने लगी। व्यापारी और उसके साथियों ने तय किया कि शेष यात्रा वे रात में करेंगे। जब रात हुई, तो उन्होंने अपनी यात्रा फिर शुरू कर दी।
उनमें से एक व्यक्ति को सितारों की जानकारी थी। वह सितारों की स्थिति के अनुसार लोगों को आगे बढ़ने का रास्ता बताने लगा। उन लोगों ने बिना रुके सारी रात यात्रा की। दिन होने पर वे रुक गए और वहीं आराम करने लगे।
दो दिन इसी तरह यात्रा करते रहे। अब उनकी यात्रा एक दिन की और बची थी। अचानक, उनके पास का सारा पानी समाप्त हो गया। सारे लोग थक चुके थे और बिना पानी पिए यात्रा करने की उनमें शक्ति नहीं बची थी। वे बैठ गए।
व्यापारी ने पानी खोजने का निश्चय किया। वह चल पड़ा। आखिरकार, उसे कुछ घास दिखाई दी। वह सोचने लगा, "यहाँ घास होने का मतलब है कि यहीं धरती के नीचे पानी भी होगा।"
उसके सारे साथी भागकर वहाँ आ गए और खुदाई करने लगे। उन लोगों के खोदे गड्ढे में व्यापारी कूद गया और उसमें पड़ी चट्टान से कान लगाकर कुछ सुनने की कोशिश करने लगा।
उसने अपने साथियों से कहा, "मुझे इस चट्टान के अंदर पानी बहने की आवाज सुनाई दे रही है। हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।"
ऐसा कहकर वह व्यापारी गड्ढे से बाहर निकल आया और अपने साथियों से बोला, "अगर तुम लोगों ने हिम्मत खो दी, तो हम भी खो जाएँगे। इसलिए हिम्मत मत हारो और खुदाई करते रहो। "
सारे साथी हथौड़े से चट्टान तोड़ने में जुट गए। व्यापारी की बात मानकर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। आखिरकार, चट्टान टूट गई और गड्ढा पानी से लबालब भर गया। सारे लोगों ने छककर पानी पिया। उन्होंने अपने बैलों को भी पानी पिलाया और जमकर स्नान भी किया।
नहाने-धोने के बाद वे अपने साथ लाई लकड़ियाँ चीरने लगे । उन लकड़ियों से उन्होंने आग जलाई और चावल पकाए । सभी ने खाना खाया और दिन भर आराम किया।
उन लोगों ने उस गड्ढे के पास एक झंडा भी गाड़ दिया, ताकि आने-जाने वाले यात्रियों को भी पानी का पता लग जाए।
दिन ढलने के बाद सभी ने फिर से यात्रा शुरू कर दी और सुबह तक शहर पहुँच गए। वहाँ उन्होंने अच्छी तरह से व्यापार किया और अच्छा मुनाफा कमाकर अपने गाँव लौट आए।
Moral of Story
शिक्षा: इच्छा और संकल्प से सब कुछ हासिल किया जा सकता है।
सुअर और भेड़ – New Moral Stories in Hindi
एक मोटा-तगड़ा सुअर था। उसे हमेशा पकड़े जाने और मार डाले जाने का डर लगा रहता था। वह भेड़ों के बाड़े में रहने लगा। उसने सोचा कि यहाँ रहने पर उसे कोई नहीं देख पाएगा और वह बचा रहेगा।
एक दिन, चरवाहे ने उसे देख लिया और उसके कान पकड़कर बाहर खींच लाया। सुअर चीखता-चिल्लाता रहा और अपने को छुड़ाने का प्रयास करता रहा। पास खड़ी एक भेड़ उसे देख रही थी।
वह सुअर को समझाने लगी, "तुम इतने घबरा क्यों रहे हो? हमारा मालिक तो हमारे साथ अक्सर ऐसा ही करता है, लेकिन हम लोग तो नहीं चिल्लाते। ये चीखना-चिल्लाना बंद करो।"
सुअर ने उत्तर दिया, "मेरे दोस्त, मेरा मामला अलग है। तुम्हें वह ऊन निकालने के लिए पकड़ता होगा, पर मुझे तो वह काटकर गोश्त पकाने के लिए पकड़े है।"
शिकारी और खरगोश – New Moral Stories in Hindi
एक निर्दयी शिकारी खरगाशों को पकड़ा करता था और उनका माँस खाया करता था। एक दिन, फिर से उसने एक खरगोश पकड़ा और उसके कान पकड़कर उसे घर ले चला।
रास्ते में उसे एक साधु मिला। साधु ने शिकारी से कहा कि वह खरगोश को छोड़ दे और इस भलाई के बदले पुण्य कमा ले।
शिकारी ने इन्कार कर दिया। उसने वहीं साधु के सामने ही निर्दयतापूर्वक खरगोश की गर्दन काटने का निश्चय किया ।
उसने थैले से बड़ा धारदार चाकू निकाला। वह चाकू से खरगोश को काटने ही वाला था कि चाकू फिसलकर उसी के पैर पर गिर पड़ा। उसका पैर बुरी तरह से कट गया। वह दर्द से चिल्लाने लगा और उसके हाथ से खरगोश छूट गया।
शिकारी को अपने पापों का दंड मिला। उसका पैर बुरी तरह से कट गया था, इसलिए वह ठीक से चलने लायक भी नहीं रहा और न कभी दुबारा कोई शिकार कर पाया।
मेंढक और चूहा – New Moral Stories in Hindi
एक दुष्ट मेंढक ने एक चूहे से दोस्ती कर ली। एक दिन दोनों यात्रा पर निकल पड़े। रास्ते में उन्हें एक तालाब मिला।
चूहे को पानी में जाने से डर लग रहा था लेकिन मेंढक ने कहा कि वह तालाब पार करने में चूहे की सहायता करेगा।
उसने चूहे की टाँगें अपनी टाँगों से बाँध ली और पानी में कूद पड़ा। जब मेंढक तालाब के बीच गहरे पानी में पहुंचा तो वह चूहे को पानी में नीचे खींचने लगा।
चूहे ने अपने को छुड़ाने की बहुत कोशिश की और उनकी खींचतान से पानी में काफी हलचल होने लगी। हलचल देखकर तालाब के ऊपर उड़ रहे एक बाज वहाँ आ गया।
वह नीचे आया और चूहे को अपने पंजे में दाबकर उड़ गया। धोखेबाज मेंढक की टाँगें भी उसकी टाँगों के साथ बँधी थी, इसलिए वह भी चपेट में आ गया और चूहे के साथ वह भी बाज की पकड़ में आ गया |
Moral of Story
शिक्षा: जो दूसरों को हानि पहुँचाने का प्रयास करते हैं, वे स्वयं भी अपने ही कार्यों से हानि उठाते हैं।
हाथी और चूहा – New Moral Stories in Hindi
एक बड़ी झील के पास बहुत सारे चूहे रहते थे। एक दिन वहाँ हाथियों का एक झुंड आया।
हाथियों के पैरों तले दबकर सैकड़ों चूहे दबकर मर गए। बचे हुए चूहे बहुत चिंतित हुए। चूहों के सरदार ने कहा, "हमें इन
हाथियों से दया का अनुरोध करना चाहिए।" सारे चूहों ने मिलकर हाथियों के मुखिया से अनुरोध किया,
"आप लोगों के झील जाते समय हमारे सैकड़ों साथी आप लोगों के पैरों तले दबकर मर गए। हमारा अनुरोध है कि आप लोग झील जाने के लिए किसी दूसरे रास्ते का प्रयोग करें।"
हाथियों का मुखिया मान गया। एक दिन, राजा ने जंगल के सारे हाथियों को पकड़ने का आदेश दिया। जंगल में जाल लगा दिए गए।
एक को छोड़कर सारे हाथी जाल में फँस गए। बचा हुआ हाथी चूहों के सरदार के पास पहुँचा और उससे सहायता माँगने लगा।
सभी चूहे तुरंत जालों की ओर भागे वहाँ पहुँचते ही सभी ने जल्दी से अपने नुकीले दाँतों से जालों को कुतरना शुरू कर दिया।
देखते ही देखते जाल कट गए और सारे हाथी मुक्त हो गए। दया के बदले और अधिक दया मिलती है।
बूढ़ा बाघ और लालची राहगीर – New Moral Stories in Hindi
एक बाघ बूढ़ा होने के कारण काफी कमजोर हो गया था उसमें इतनी शक्ति भी नहीं बची थी कि वह अपने लिए कोई शिकार कर सके।
उसे एक सोने का कंगन मिला। कंगन लेकर वह कीचड़ में खड़ा हो गया और चिल्लाने लगा, "देखो, देखो! मेरे पास आओ और सोने का यह सुंदर कंगन ले लो।"
एक राहगीर वहाँ से गुजरा तो लालच में आकर रुक गया। उसे बाघ के पास जाने में डर भी लग रहा था।
"मैं तुम्हारा विश्वास कैसे करूँ?" उसने दूर से ही बाघ से पूछा। "अगर मैं कंगन लेने तुम्हारे पास आया तो तुम मुझे खा जाओगे।'
बाघ ने जवाब दिया, "मैं हमशा लोगों को मारता रहा, लेकिन अब मैं सुधर गया हूँ और भलाई का जीवन बिता रहा हूँ।
लोगों को दान करने में मुझे सुख मिलता है।" राहगीर उसकी बातों में आ गया लेकिन बाघ के पास आकर वह कीचड़ में फंस गया।
बूढ़े बाघ को इसी का इंतजार था। वह उस पर झपट पड़ा और कीचड़ में खींच ले गया।
वह राहगीर पछताते हुए रोने-चिल्लाने लगा, "हाय मेरी किस्मत! लालच में आकर मैं यही भूल गया कि हत्यारा हमेशा हत्यारा ही रहता है।
नदियाँ और समुद्र – Hindi Picture Story
नदियाँ और समुद्र काफी प्राचीन समय से आपस में मिलकर रहते आ रहे थे। नदियाँ अपना पानी समुद्र में डालती थीं और समुद्र उस पानी को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार करता था ताकि नदियाँ साफ और सुरक्षित बनी रहें।
हालाँकि नदियों को यह बात अच्छी नहीं लगती थी कि समुद्र सारे पानी को खारा कर देता है। एक दिन उन्होंने समुद्र से इस बात को लेकर शिकायत करने का निश्चय किया।
वे सारी एकजुट होकर समुद्र के पास गईं। सारी नदियाँ विशाल नीले समुद्र के पास जाकर एक स्वर में बोलीं, "अरे समुद्र, हम लोग तुम्हारे पास इतनी मीठा पानी लाते हैं, लेकिन तुम उसे खारा क्यों कर देते हो?"
समुद्र कुछ देर शांत रहा और नदियों की नाराजगी भरी बातें सुनता रहा। फिर वह बोला, "अगर तुम नहीं चाहतीं कि यह पानी खारा हो, तो तुम लोग मुझसे दूर रहने लगो।"
नदियाँ चुपचाप मुँह लटकाए लौट पड़ीं क्योंकि वे जानती थीं कि वे समुद्र के बिना नहीं रह सकती हैं।
बंदर और ऊँट – Hindi Picture Story
कई साल पहले, जंगल से सारे जानवर अपनी-अपनी अभिनय और नाच गाने की प्रतिभा दिखाने के लिए एकत्र हुए।
जब सारे जानवर आ गए, तो बंदर से नाचने को कहा गया। बंदर तो उछल-कूद और कलाबाजियों में माहिर था ही। उसने अपने नाच से सबका मनोरंजन किया।
सभी लोगों ने बहुत सराहना की और बंदर को सभी ने बहुत अच्छा नर्तक मान लिया। ऊँट से बंदर की सराहना सहन नहीं हुई और उसने भी नाचना शुरू कर दिया।
उसका नाच बिलकुल बेतुका और बेढंगा था। उसका नाच किसी को भी पसंद नहीं आया और सबने उसकी बुराई की।
उसने ईर्ष्या से भरकर नाच किया था, इसलिए उसे दंड के रूप में जंगल से निकाल दिया गया।
Moral of Story
शिक्षा: अगर तुम अपनी बाँह से अधिक अपना हाथ पसारोगे, तो तुम्हें हानि ही होगी।
लकड़हारा और लोमड़ी – Hindi Picture Story
एक लोमड़ी के पीछे शिकारी पड़े थे। लोमड़ी भागते-भागते एक लकड़हारे के पास पहुंची और उससे शरण माँगने लगी।
लकड़हारे ने अपनी झोपड़ी की ओर इशारा करते हुए लोमड़ी से उसमें छिप जाने को कह दिया। थोड़ी ही देर में शिकारी वहाँ आ पहुंचे। उन्होंने लकड़हारे से पूछा, "क्या तुम्हें कोई लोमड़ी दिखी यहाँ?"
लकड़हारे ने जवाब दिया, "नहीं," लेकिन चुपचाप अपनी झोपड़ी की ओर इशारा कर दिया। शिकारी उसके इशारे को नहीं समझ पाए और वहाँ से चले गए।
लोमड़ी झोपड़ी से बाहर निकलकर आई और भागने लगी। लकड़हारे ने उसे आवाज लगाई और कहा,
"तुम कितनी कृतघन हो! अपनी जान बचाने के लिए तुमने मुझे धन्यवाद तक नहीं दिया!"
लोमड़ी रूखे स्वर में बोली, "अगर तुम्हारे बोल की तरह तुम्हारे इशारे भी भरोसे लायक होते तो मैं तुम्हें धन्यवाद जरूर देती।"
Moral of Story
शिक्षा: कई बार एक हल्का-सा इशारा, बोले गए शब्दों से ज्यादा बुरे होते हैं।
दो मित्रों की कहानी – Hindi Picture Story
एक शहर में दो मित्र रहते थे, धर्मबुद्धि और पापबुद्धि। चालाक पापबुद्धि ने धर्मबुद्धि का सारा धन हड़पने की योजना बनाई।
उसने धर्मबुद्धि से कहा, "दोस्त, मुझे लग रहा है कि अपना सारा धन अपने घर पर रखना सुरक्षित नहीं है।
हम अपना धन जंगल में किसी गुप्त स्थान पर गाड़ देते हैं। जब कभी हमें धन की आवश्यकता पड़ेगी, हम जाकर निकाल लाएँगे।"
धर्मबुद्धि सहमत हो गया। दोनों ने पास के जंगल में जाकर एक गहरा गड्ढा खोदा और अपना सारा धन उसमें गाड़ दिया।
एक दिन पापबुद्धि गया और गड्ढे से उसने सारा धन निकाल लिया। अगले दिन, वह धर्मबुद्धि के पास गया और बोला कि उसे कुछ धन की आवश्यकता है, इसलिए साथ चलकर जंगल से धन निकाल लिया जाए।
जब दोनों जंगल में पहुंचे तो उन्होंने पाया कि गड्ढा तो खाली है। पापबुद्धि जोर-जोर से रोते हुए कहने लगा,
"धर्मबुद्धि, तुमने सारा धन चुरा लिया। उसमें आधा हिस्सा मेरा भी था। मेरा हिस्सा वापस करो।
" हालाँकि, धर्मबुद्धि ने फौरन इन्कार कर दिया। पापबुद्धि नहीं माना और उस पर लगातार आरोप लगाता ही रहा।
दोनों का झगड़ा अदालत पहुँचा। वहाँ पर पापबुद्धि ने न्यायाधीश से कहा, "मैं गवाह के रूप में वनदेवता को प्रस्तुत कर सकता हूँ।
वे ही तय करेंगे कि कौन दोषी है।" न्यायाधीश मान गए। उन्होंने दोनों से अगले दिन सुबह जंगल पहुँचने का आदेश दिया।
पापबुद्धि घर गया और अपने पिता से बोला, "पिताजी, मैंने धर्मबुद्धि का सारा धन चुरा लिया है। मामला अदालत में है।
अगर आप सहायता करें तो मैं मुकदमा जीत सकता हूँ। आप जाइए और पेड़ के खोखले तने में छिप जाइए।
कल सुबह जब न्यायाधीश वहाँ पहुँचेंगे तो मैं आपसे सचाई पूषूँगा। आप कह देना कि धर्मबुद्धि ही चोर है।"
पिता को पापबुद्धि के षड्यंत्र में शामिल होने में झिझक हो रही थी लेकिन अपने बेटे के प्यार की वजह से वह आखिरकार राजी हो गया।
अगले दिन, जब धर्मबुद्धि और न्यायाधीशों के सामने पापबुद्धि पेड़ के पास गया और चिल्लाकर बोला,
"हे वनदेवता, आप गवाह हैं। आप ही बताएँ, हम दोनों में से कौन दोषी है।"
पेड़ के खोखले तने में छिपा पिता ने जवाब दिया, "धर्मबुद्धि ने चुराया है सारा धन।
धर्मबुद्ध को संदेह हो गया। उसने पेड़ के खोखले तने में घास -फूस भर दिया और उसमें तेल डालकर आग लगा दी। आग जली तो पिता पेड़ से निकलकर भागा।
"यह सब पापबुद्धि के शैतानी दिमाग की उपज है," पिता ने न्यायाधीशों से स्पष्ट कह दिया।
राजा के सिपाहियों ने पापबुद्धि को गिरफ्तार कर लिया।
शेर और भेड़िया – Hindi Picture Story
एक बार की बात है। एक भेड़िए ने एक भेड़ को मार डाला और वह उस मरी हुई भेड़ को अपनी माँद में लेकर जाने ही वाला था कि अचानक एक शेर आ गया।
वह शेर उस पर झपट पड़ा और भेड़ को छीनने का प्रयास करने लगा। भेड़िया शेर को देखकर चिल्लाया, "तुम्हें शर्म आनी चाहिए ।
तुम जंगल के राजा हो। तुम्हारे ऊपर सारे जानवर विश्वास करते हैं। तुम अब खुद ही मेरा शिकार छीन रहे हो? तुम तो इस जंगल के कलंक हो!"
शेर हँस पड़ा और बोला, "मुझे क्यों शर्म आए? मैं तुमसे शिकार छीनने में क्या बुराई है, जबकि तुम्हारा तो काम ही चोरी करके पेट भरना है।
मेरे ऊपर इस तरह का आरोप लगाने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, सड़ियल जानवर? शर्म तो तुम्हें आनी चाहिए क्योंकि तुमने चरवाहे की भेड़ चुराई है।"
Moral of Story
शिक्षा: एक चोर दूसरे चोर से अच्छा नहीं हो सकता।
शेर और चूहा – Hindi Picture Story
गर्मी का दिन था और एक शेर अपनी माँद में लेटा झपकी ले रहा था। अचानक एक चूहा अनजाने में उसके ऊपर कूद पड़ा।
शेर की नींद टूट गई। शेर ने चूहे को पंजे में दबोच लिया और उसे मसलने ही वाला था कि चूहा गिड़गिड़ाकर जान की भीख मांगने लगा।
शेर को उस पर दया आ गई और उसने चूहे को छोड़ दिया। कुछ दिनों बाद, शेर जंगल में घूम रहा था। तभी अचानक वह शिकारियों के लगाए जाल में फँस गया।
जाल की रस्सियों में वह इतनी बुरी तरह से उलझ गया कि वह हिल तक नहीं पा रहा था। शेर जमीन पर पड़ा था और असहाय होकर चिल्ला रहा था।
उसके चीखने की आवाज जंगल में गूंजने लगी। चूहे ने भी वह आवाज सुनी। वह भी दौड़ा-दौड़ा पहुँचा। चूहे ने तुरंत जाल को अपने नुकीले दाँतों से काटना शुरू कर दिया।
Moral of Story
शिक्षा: कई बार छोटे और तुच्छ समझे जाने वाले लोग भी बड़े उपयोगी साबित होते हैं।
नन्हाँ लालची पक्षी – Hindi Picture Story
बहुत समय पहले की बात है। तेज गर्मी में एक दिन पक्षियों का राजा अपने साथी पक्षियों के साथ भोजन की तलाश में किसी नई जगह के लिए उड़ चला। उसने सारे पक्षियों से हर ओर भोजन की तलाश करने को कहा।
सारे पक्षी भोजन की तलाश में दूर-दूर फैल गए। एक पक्षी एक राजमार्ग पर पहुंचा। वहाँ उसने देखा कि बहुत सारी बैलगाड़ियों में अनाज के बोरे लदे हैं। उसने यह भी देखा कि जब गाड़ियाँ आगे बढ़ती हैं तो उनसे बहुत सारा अनाज नीचे गिर रहा है।
वह बहुत प्रसन्न हुआ और उसने जल्दी से राजा को इस स्थान के बारे में सबसे पहले बताने का निश्चय किया। वह उड़कर वापस आया और राजा से कहने लगा,
"महाराज, मैंने सड़क पर देखा है कि बहुत सारी बैलगाड़ियों पर अनाज के बोरे लदे जा रहे हैं, जिनसे अनाज गिर रहा है। हालाँकि, अगर आप सड़क पर नीचे दाने चुगेंगे, तो गाड़ियों से कुचले जा सकते हैं । वहाँ न जाने में ही भलाई है।"
पक्षियों के राजा को उसकी सलाह उचित लगी। उसने सभी पक्षियों को उस सड़क पर न जाने की चेतावनी दे दी।
नन्हाँ पक्षी हर दिन उस जगह जाता और अकेले ही अपना पेट भरकर आ जाता। एक दिन जब वह दाने चुग रहा था, तभी एक बैलगाड़ी निकली और वह लालची पक्षी कुचलकर मर गया।
बिना पूँछ की लोमड़ी – Hindi Picture Story
शिकारियों के हमले से एक लोमड़ी की जान तो बच गई लेकिन उसकी पूँछ कट गई। उसे बहुत शर्म आ रही थी।
अपनी शर्म छिपाने के लिए उसने सारी लोमड़ियों की सभा बुलाई और बोली, "मेरे साथियो, मेरे ऊपर ईश्वर ने विशेष कृपा की है और मेरी पूँछ हटा दी है।
अब मैं सुखी और आरामदायक जीवन जी सकता हूँ। हमारी पूछें तो कुरूप और बोझ जैसी हैं। हैरानी की बात है कि हमने अब तक अपनी पूँछों को काटा क्यों नहीं! मेरी सलाह मानो और सब लोग अपनी-अपनी पूँछे काट डालो।' "
एक चालाक लोमड़ी उठ खड़ी हुई और हँसते हुए बोली, "अगर मेरी पूँछ भी कट गई होती, तब तो मैं तुम्हारी बात का समर्थन कर देती।
लेकिन मेरी पूँछ तो सकुशल है तो मैं या बाकी लोमड़ियाँ अपनी-अपनी पूँछ क्यों काटें? तुम अपनी स्वार्थी सलाह अपने पास ही रखो।"
उद्दंड बेटा – Hindi Picture Story
एक व्यापारी का बहुत उद्दंड बेटा था। वह पूजा-पाठ और भलाई के कामों में बिलकुल रुचि नहीं लेता था।
धर्म-कर्म में उसकी रुचि जगाने के इरादे से उसकी माँ ने उसे एक मंदिर में संत के प्रवचन सुनने के लिए भेजा।
उसकी माँ ने उसे लालच दिया कि अगर वह संत के पूरे प्रवचन सुनकर आएगा तो वह उसे हजार रुपए देगी।
रुपयों के लालच में बेटा तैयार हो गया, लेकिन ध्यान से प्रवचन सुनने के बजाय वह वहाँ पूरे समय सोता रहा।
अगले दिन सुबह, उसका बेटा घर लौटा और उसने माँ से हजार रुपए ले लिए। रुपए लेकर उसने व्यापार के लिए समुद्र पार जाने का निश्चय किया।
उसकी माँ ने उसे रोकने का बहुत प्रयास किया, लेकिन बेटे ने उसकी एक नहीं सुनी। उसने अपना सामान बाँधा और यात्रा पर निकल पड़ा।
मगर अफसोस! रास्ते में बहुत तेज तूफान आया और उसका जहाज सारे यात्रियों समेत डूब गया।
इस प्रकार माँ की सलाह न मानने की सजा बेटे को भी भुगतनी पड़ी।
जैकी और उसका सपना – Hindi Picture Story
एक बार जैकी नाम का एक लड़का था। वह हमेशा साइकिल चलाने का सपना देखता था। उसके सपनों में उसकी साइकिल का रंग सुनहरा और साइकिल की सीट का रंग लाल होता था।
उसके हेन्डिल पर एक चमकीली घंटी लगी होती थी। उसे घंटी की आवाज़ बहुत अच्छी लगती थी। उसके पैरों के नीचे सफेद बादल होते थे। सपने में जहाँ भी वो साइकिल चलाता, उसके आगे तितलियाँ उड़ती रहती थीं।
साइकिल चलाते हुए वह कई परियों और हज़ारों तारों से मिला। एक बार उसने सांता क्लॉज़ को भी अपनी साइकिल की सैर कराई। जिसके बदले में उन्होंने उसे बहुत सारी मिठाईयाँ दी।
लेकिन दुख की बात यह थी कि वास्तव में, वह अभी तक साइकिल नहीं चला पाया था। परंतु उसे कभी इस बात का दुख नहीं हुआ, लेकिन वह सपनों में देखी हुई साइकिल की सैर को हमेशा याद रखना चाहता था।
मिकी और उसके बड़े सपने – Hindi Moral Stories with Pictures
मिकी के जन्मदिन का बड़ा उत्सव था। मिकी अपने नए कपड़ों में बहुत खश दिखाई दे रहा था। उस समय उसकी मौसी उसे मिलने आयीं। वह बोलीं-"मिकी, तुम बड़े हो कर क्या बनना चाहते हो?"
मिकी ने कहा-"मैं अपने भाई की तरह जानवरों का डॉक्टर बनकर जानवरों की देखभाल करना चाहूँगा। नहीं तो, अपने पिता की तरह वैज्ञानिक बनकर संकटग्रस्त जीवों की मदद करना चाहूँगा।
इसके अलावा, मैं अपनी माँ की तरह कुत्तों की देखभाल करने वाला बनूंगा। या फिर मैं अपनी बहन की तरह डॉलफिन को ट्रेनिंग देने वाला बनूंगा। वास्तव में मौसी, मैं जानवरों से बहुत प्यार करता हूँ।
मैं उनके लिए ज्यादा से ज्यादा काम करना चाहता हूँ।" उसकी मौसी यह सुनकर बहुत खुश हुई। उन्होंने उसे कहा- "कोई बात नहीं, मिकी। अभी तो तुम केवल सात साल के हो। तुम्हारे पास अभी बहुत समय। है। भगवान तुम्हारी इच्छा पूरी करे।"
फरिश्तों का प्यार – Hindi Moral Stories with Pictures
बच्चो, क्या तुम जानते हो जब तुम पैदा होते हो, तो बहुत बड़ा उत्सव होता है? फरिश्ते गाते, बजाते और नाचते हैं? सभी खुशी मनाते हैं। तुमने सपने में भी कभी यह सोचा है कि सबसे बड़ा फरिश्ता कौन है?
सबसे बड़ा फरिश्ता लम्बी, सफेद दाढ़ी वाला एग्नेलियस है। जब तुम पैदा होते हो तो वह दूसरे फरिश्तों से पूछता है-"बताओ, तुम क्या सोचते हो? यह बच्चा बड़ा होकर क्या बनेगा?"
कोई कहता है-"यह टीचर बनेगा।" कोई कहता है-"यह बहुत बड़ा डॉक्टर बनेगा।" और कोई कहता है-"यह तो एक डांसर बनेगा।" एग्नेलियस सबके जवाबों को मुस्कराकर सुनते हैं।
तभी कोई कहता है-"क्या होगा अगर यह ठीक से बोल या चल नहीं पाया तो?" तब एग्नेलियस मुस्कराते हुए कहते हैं-"कहने दो सब को जो वे कहना चाहते हैं। हम तो इस बच्चे को ऐसे ही प्यार करेंगे।"
गलत फैसला – Hindi Moral Stories with Pictures
एक शहर में, बाज़ार के पास घोड़ों का अस्तबल था। एक दिन, एक घोड़े का बच्चा बाज़ार के शोरगुल से घबराकर पागलों की तरह दौड़ने लगा। उसने दो बैलों को देखा तो उनके पीछे जा छुपा।
उसे ढूंढते हुए उसका मालिक वहाँ आया और उसने किसान से अपना घोड़ा वापस मांगा। लेकिन किसान ने कहा-"घोड़े ने बैलों को चुना है। बैल मेरे हैं, तो घोड़ा भी मेरा हुआ।"
यह मामला राजा के दरबार में पहुँचा। राजा ने फैसला सुनाया "घोड़ा अब किसान के पास ही रहेगा और बैल ही उसके माता-पिता होंगे।" अगली सुबह, राजा एक गली से गुज़र रहा था।
उसने देखा, घोड़े का मालिक मछली पकड़ने का जाल बिछा रहा था। राजा ने उससे पूछा-"यह क्या कर रहे हो?" उसने जवाब दिया-"जब बैल घोड़े के माता-पिता हो सकते हैं, तो मैं गली में मछली क्यों नहीं पकड़ सकता?"
इतना सुनते ही राजा को अपनी गलती का एहसास हो गया। इस तरह से घोड़े के मालिक को उसका घोड़ा वापस मिल गया।
चालाक सोमू – Hindi Moral Stories with Pictures
एक बार सीमा नाम का एक गरीब युवक था। उसके पास एक लंगड़ा घोड़ा और एक फटा हुआ कोट था। एक दिन, चारों ओर बर्फ पड़ रही थी। सोमू अपने लंगड़े घोड़े पर उदास बैठा था।
तभी उसने गर्म कपड़े पहने, घोड़े पर सवार एक आदमी को आते देखा। उसे देख सोमू अपने घोड़े पर अकड़कर बैठ गया और गाना गाने लगा। आदमी उसे देखकर बहुत हैरान हुआ।
उसने सोमू से पूछा-"क्या तुम्हें ठंड नहीं लगती?" सोमू ने जवाब दिया-"इन छेदों से हवा बाहर निकल जाती है, इसलिए यह कोट काफी गर्म है। परंतु लगता है, तुम्हें ठंड लग रही है।"
सीमा ने कहा-"तुम ठीक कह रहे हो। कृप्या, अपना कोट मुझे बेच दो।" "नहीं, इसके अलावा मेरे पास इस ठंड में पहनने को कुछ नहीं है।-सोनू ने कहा।
"मैं तुम्हें अपना कोट दे दूंगा और हम अपने घोड़े भी बदल लेंगे।" वह गिड़गिड़ाया। "ठीक है।"-सोनू ने कहा। उसने जल्दी से उस आदमी का कोट और घोड़ा लिया और वहाँ से भाग गया।
मोहन और उसकी सलाह – Hindi Moral Stories with Pictures
एक बार, एक बुद्धिमान किसान था। उसका मोहन नाम का बेटा था जो अपने आप को सबसे होशियार समझता था। उसे दूसरों को सलाह देना बहुत अच्छा लगता था।
वह अपने पिता को भी खेती के बारे में सलाह देता था। लेकिन उसके पिता उस पर ध्यान नहीं देते थे। उनको, मोहन जैसे छोटे बच्चे का सलाह देना अभी सही नहीं लगता था।
वह हमेशा मोहन को समझाते हुए कहते-"जब तुम्हें मेरा जूता आने लगेगा, तब मैं तुम्हारी बात माना करूंगा। तब तुम मुझे बता सकोगे कि मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं।"
कुछ साल बाद मोहन जवान हो गया। लेकिन उसकी दूसरों को सलाह देने की आदत नहीं बदली। एक दिन उसके पिता ने देखा, उनके जूते और मोहन के जूते एक नाप के हो गए है।
अब उन्होंने मोहन को घर और खेत की सारी जिम्मेदारी सौंपने का फैसला कर लिया। अब मोहन जो तरीके दूसरों को बताया था, उस तरीके से वह खुद काम करने लगा था। मोहन के पिताजी अब खुश थे क्योंकि वह समझदार हो गया था।
दानव – Hindi Moral Stories with Pictures
एक घाटी में, एक दानव अकेला रहता था। एक दिन वह घूमने निकला और उसने मदन नाम के एक लड़के को देखा। दानव ने उसे बुलाया और पूछा- "क्या तुम किसी को जानते हो जो मेरे साथ शतरंज खेल सके?"
डर से काँपते हुए मदन ने अपनी मालकिन माया के दानव की इच्छा बताई। माया, दानव के पास अपने दोस्त जीवन को लेकर गई जो शतरंज का कमज़ोर खिलाड़ी था। वह दानव को नाराज़ नहीं करना चाहती थी।
उस दिन से वे दानव के अच्छे दोस्त बन गए और अक्सर वहां के पास आने लगा। माया और उसके कुछ दोस्तों ने मिल कर दानव के लिए एक स्वेटर बुनना। स्वेटर देखकर दानव बहुत खुश हुआ।
उसने उन्हे धन्यवाद किया और कहा कि, "मैं पहाड़ों पर अपने दानव मित्रों के पास जा रहा हूँ। मैं अपने साथ स्वेटर भी ले जा रहा हूँ।" इसके बाद वह दानव कभी भी वहाँ पर दिखाई नहीं दिया।
दोस्तों की कमी – Hindi Moral Stories with Pictures
एक बार, टीटू नाम का लड़का था। वह सारा दिन खेतों में अपनी फसल की देखभाल में लगा रहता था। उसके पास किसी से बात करने का भी समय नहीं था। वह बहुत अकेलापन महसूस करता था।
वह जब खेतों से लौटता तो अपनी बहन से कहता-"बहन, मेरा कोई दोस्त नहीं है। मैं सारा दिन मेहनत करता हूँ और किसी से भी बात नहीं करता।" उसकी बहन ने कहा-"मेरा भी कोई दोस्त नहीं है।"
"तुम्हारे पास है। तुम बकरियों की देखभाल करती हो। वे तुम्हारी दोस्त की तरह हैं। कम से कम तुम उनसे तो बात कर सकती हो।" -टीटू ने चिढ़कर कहा। "ओह! तुम ऐसा कैसे कह सकते हो?
बकरियों से बात कैसे की जा सकती है। बकरियाँ न ही हमारी भावना समझ सकती हैं और न ही हमार भाषा।" ऐसा कहकर वह रसोई में रोटियाँ बनाने चली गई और बहस खत्म हो गई।
टीटू को भी यह बात समझ में आ गई कि हम इन्सानों से ही बात कर सकते हैं, जानवरों से नहीं।
खर्चीली लड़की – Hindi Moral Stories with Pictures
अंजली एक बहुत सुंदर और अमीर लड़की थी। वह स्वभाव से बहुत फिजूल खर्च करने वाली थी। वह अपने कपड़े एक या दो बार पहनने के बाद ही फेंक दिया करती थी।
उसकी एक बहुत मेहनती रोमा नाम की नौकरानी थी। वह बहुत ही नम्र स्वभाव की थी। जो भी कपड़े अंजली फेंकती थी, वह उनको सम्भाल कर रखती थी। एक दिन एक सुंदर और अमीर युवक ने अंजली का हाथ मांगा।
अंजली मान गई और उसने अपनी शादी में अपनी सभी सहेलियों को बुलाया। रोमा भी वहाँ अपनी मालकिन की फेंकी हुई, सुंदर पोशाक पहन कर आई। जिसे देखकर अंजली को जलन महसूस हुई और वह रोमा का अपमान करने लगी।
यह देखकर युवक अंजली का स्वभाव समझ गया। उसे रोमा की सादगी बहुत अच्छी लगी। अंजली को छोड़कर उसने रोमा से शादी कर ली। अंजली को उसका सबक मिल गया था।
राजकुमार का कुत्ता – Hindi Moral Stories with Pictures
एक बार एक बहादुर राजकुमार था। वह अपने कुत्ते से बहुत प्यार करता था। उसने कई लड़ाईयाँ जीतीं और कई देशों पर राज किया। एक दिन उसके दुश्मनों ने योजना बना कर उसे पकड़ लिया।
राजकुमार को एक अनजान जगह पर रखा गया, जहाँ चारों ओर जंगल था। उसके दुश्मनों ने उसे आजाद करने की बहुत बड़ी कीमत मांगी थी।
राजकुमार चालाक था। वह अपने कुत्ते वीर के साथ उस जगह से भाग निकला। लेकिन अपने देश जाने का उसको रास्ता नहीं पता था। अनजान देश में वह किसी से रास्ता पूछ भी नहीं सकता था।
अचानक, उसे याद आया कि कुत्ते कई मील दूर से भी अपना घर ढूंढ सकते हैं। उसने अपने कुत्ते से कहा- "वीर, हमारे घर का रास्ता ढूंढो और देश को बचाओ।"
वीर ने हवा को सूंघा और अपने देश की दिशा की ओर चल पड़ा। कई दिन चलने के बाद वे अपने देश पहुंचे। केवल वीर की वजह से ही राजकुमार अपने घर वापस आ सका।
जादुई छड़ी – Hindi Moral Stories with Pictures
बहुत समय पहले, एक बहुत मेहनती आदमी था, जो एक जादूगर के लिए काम करता था। एक दिन जब वह नौकरी छोड़कर अपने देश जाने लगा, तब जादूगर ने उसे एक जादुई छड़ी दी।
वह छड़ी बुरे लोगों को सबक सिखाती थी। जादूगर नहीं चाहता था कि कोई भी उस आदमी की अच्छाई का अनुचित लाभ उठाएं। एक दिन वह आदमी जिस सराय में ठहरा हुआ था, वहाँ डाकुओं ।
ने हमला कर दिया। परन्तु जादुई छड़ी ने उन्हें अच्छा सबक सिखाया। यह देख सराय के दुष्ट मालिक ने उसकी छड़ी चुरानी चाही, तब छड़ी ने उसकी अच्छी पिटाई की। जब वह आदमी अपने देश पहुँचा, उस समय उसके देश पर दुश्मनों का हमला हो रहा था।
उसने तुरन्त छड़ी को दुश्मनों पर हमला करने का आदेश दिया। जादुई छड़ी ने दुश्मनों को पीट-पीट कर भगा दिया। यह देख राजा बहुत खुश हुआ और उसके साथ राजकुमारी का विवाह कर दिया।
बुद्धिमान बुलबुल मोरल स्टोरी इन हिंदी
एक बुलबुल मक्कई के खेत में रहती थी। वह हमेशा चिंतित रहती थी क्योंकि फसल काटने का समय हो गया था और उसके बच्चे अभी उड़ नहीं सकते थे।
हमेशा बाहर जाने से पहले वह बच्चों को समझाती- "जो कुछ तुम्हारे आस-पास घटित हो, उसे ध्यान से देखो और सुनो।" एक शाम जब वह लौटी, उसने देखा उसके बच्चे घबराये हुए थे।
बच्चों ने कहा-"किसान ने फसल काटने के लिए अपने बच्चों से अपने दोस्तों को बुलाने को कहा है।" यह सुन बुलबुल बिना घबराए अपने बच्चों से बोली-"डरो नहीं, कल खेत में कोई भी नहीं आएगा।"
अगले दिन वास्तव में कोई नहीं आया। ऐसे ही कई दिन गुज़र गए। एक दिन किसान ने अपने बच्चों से कहा- "अब हम और इंतज़ार नहीं कर सकते। यह हमारा काम है, इसलिए इसे हम अपने दोस्तों पर नहीं छोड़ सकते।
कल हम अपनी फसल खुद काटेंगे।" यह सुनते ही बुलबुल समझ गई, किसान कल फसल काटने ज़रूर आएगा। इसलिए वह अपने बच्चों के साथ उड़कर दूर चली गई।
चतुर बुढ़ियामोरल स्टोरी इन हिंदी
एक गाँव में एक बुढ़िया रहती थी। एक दुर्घटना में उसकी आँखें सूज गईं। उसने गाँव के एक वैद्य को बुलाया। वैद्य ने, उसकी आँखें जाँचने के बाद कहा-"तुम्हारी आँखें बिल्कुल ठीक हो जाएगी।
लेकिन, जब तक मैं तुम्हारा इलाज – करूँगा, तब तक तुम्हारी आँखें बंद रहनी चाहिएं। इसके अलावा, फीस भी ज्यादा लूंगा।" बुढ़िया मान गई। इलाज के दौरान उसने अपनी आँखें बंद रखीं।
इसी बीच, उस वैद्य ने बुढ़िया के घर का सारा सामान चुरा लिया। इलाज के बाद बुढ़िया ने आँखें खोलीं, तो अपने घर का सारा सामान गायब पाया। उसने वैद्य को फीस देने से मना कर दिया।
तब वे दोनों कोर्ट गए और सारी कहानी जज को सुनाई। बुढ़िया ने जज से कहा-"मैं इसे फीस क्यों दूं? इलाज से पहले मैं अपने घर का सारा सामान देख सकती थी,
पर अब मुझे कोई सामान नहीं दिखाई देता।" जज ने बुढ़िया के पक्ष में ही फैसला किया। वैद्य ने चुपचाप इस फेसले को मान लिया, क्योंकि उसने बुढ़िया के साथ धोखा किया था।
लोमड़ी की पूँछ मोरल स्टोरी इन हिंदी
एक बार ऐसा हुआ कि एक लोमड़ी गलती से अपनी पूँछ खो बैठी। इस बात से वह इतनी शर्मिंदा थी कि वह अपने आप को मार देना चाहती थी। वह शर्मिंदगी से बचने के उपाय ढूंढने लगी।
कई घंटे सोचने के बाद उसे एक उपाय सूझा। उसने सोचा, अगर वह सभी लड़कियों को, पूँछ कटवाने के लिए मना ले, तो उसे किसी के आगे शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा। ऐसा सोच कर, एक दिन उसने जंगल की सभी लड़कियों की एक बैठक बुलाई।
एक बहुत बड़े मैदान में सभी लड़कियाँ जमा हुईं। तब लोमड़ी ने कहना शुरु किया- "बहनों, मुझे यह विचार आया है कि तुम सबको अपनी पूँछ कटवा देनी चाहिए। पूँछ बहुत भारी हैं और देखने में भी बुरी हैं।
तुम इसके बिना ही अच्छी लगेगी।" लड़कियों ने जवाब दिया- "अच्छा! अगर ऐसा है, तो तुम अपनी पूँछ के बिना इतनी उदास क्यों हो?" लोमड़ी अब कुछ न बोल सकी और वहाँ से चुपचाप चली गई।
बेईमान लकड़हारा मोरल स्टोरी इन हिंदी
एक बार कुछ शिकारी एक लोमड़ी का पीछा कर रहे थे। लोमड़ी बहुत तेज़ दौड़ी और शिकारियों की नज़रों से ओझल हो गई। तभी लोमड़ी ने एक घर देखा। उसने जल्दी से उस घर का दरवाज़ा खटखटाया।
वह एक लक्कड़हारे का घर था। लक्कड़हारे से लोमड़ी ने अपनी जान बचाने की विनती की। वह मान गया और उसे अपने घर में छुपा लिया। जल्दी ही शिकारी वहाँ आ गए और लोमड़ी के बारे में पूछने लगे।
हालांकि लक्कड़हारे ने उन्हें मुँह से कुछ नहीं कहा, परंतु उसने इशारे से उन्हें लोमड़ी के बारे में बताने की कोशिश की। लेकिन शिकारी उसका इशारा नहीं समझ पाये और वहाँ से चले गए।
जब लोमड़ी वहाँ से जाने लगी तो लक्कड़हारा बोला-" मुझे धन्यवाद नहीं करोगी?" लोमड़ी ने जवाब दिया- "किस लिए तुम्हारा धन्यवाद कर? उन शब्दों के लिए जो तुमने नहीं कहे या उन शब्दों के लिए जो वो लोग समझ नहीं पाए?"
बेचारा माली मोरल स्टोरी इन हिंदी
एक राज्य में एक माली रहता था, जिसका बहुत बड़ा बगीचा था। वह अपने बगीचे की बहुत अच्छी देखभाल किया करता था। उसके फल व सब्जियाँ बहुत स्वादिष्ट थे, और फूल व पौधे बहुत सुंदर थे। राजा भी उससे बहुत प्रभावित था।
एक दिन एक खरगोश उसके बगीचे में आया और उसने कई फल और सब्जियां खाई और बगीचे को तहस-नहस कर दिया। माली अपने बगीचे की ऐसी हालत देखकर बहुत दुखी हुआ।
खरगोश को बगीचे से बाहर निकालने की उसकी सारी कोशिश बेकार हुई। तब वह राजा के पास मदद मांगने गया। अगले दिन, राजा अपने सैनिकों के साथ उसके बगीचे में आया।
उसने अपने सैनिकों को बगीचे में जाकर खरगोश को भगाने का आदेश दिया। वे सारे सैनिक खरगोश को पकड़ने के लिए बगीचे में इधर-उधर भागने लगे।
जितना नुकसान उन सैनिकों ने किया उसके सामने खरगोश के द्वारा किया गया नुकसान कुछ भी नहीं था। अपने बगीचे की ऐसी हालत देखकर माली और भी दुखी हो गया।
संत सैनिक मोरल स्टोरी इन हिंदी
एक दिन नवंबर की ठंडी शाम में, एक युवा सैनिक, घोड़े पर सवार होकर जा रहा था। बरसात हो रही थी और मौसम बहुत ठंडा था। तभी, उस सैनिक ने देखा, एक बूढ़ा आदमी फटे कपड़ों में सड़क के किनारे बैठा हुआ था।
उसने अपनी बरसाती के दो हिस्से किए और एक हिस्सा उस बूढ़े को देकर वह आगे बढ़ा। रास्ते में, उसे फिर से एक ऐसा आदमी मिला, जिसके पास कपड़े नहीं थे। उसने बाकी बची आधी बरसाती उसे दे दी।
अब उसके पास भी खुद को ढकने के लिए कुछ नहीं था। आगे उसे कई गरीब लोग मिले। लेकिन अब वह उनके लिए प्रार्थना के सिवा कुछ नहीं कर सकता था। उसने सच्चे मन से भगवान से सभी गरीब लोगों के लिए प्रार्थना की।
अचानक, बारिश बंद हो गई और सूरज ऐसे चमकने लगा जैसे गर्मी का मौसम हो। उसके दया-भाव के लिए लोगों ने उसे बहुत आशीर्वाद दिया। बाद में वे उसे संत बुलाने लगे।
भगवान और कंजूस औरत मोरल स्टोरी इन हिंदी
बहुत समय पहले, एक कंजूस औरत एक गाँव में रहती थी। एक दिन भगवान संसार में घूमने निकले। उन्होंने उस कंजूस औरत के घर का दरवाजा खटखटाया और खाने के लिए कुछ मांगा।
वह औरत उन्हें कुछ देना तो नहीं चाहती थी, पर मना भी नहीं कर सकती थी। इसलिए वह जान-बूझकर धीरे-धीरे काम करने लगी। उसने धीरे-धीरे आटा गूंदा और रोटियाँ बेलने लगी।
लेकिन, हर बार वह गलत तरीके से बेलती और दोबारा कोशिश करती। इस तरह बहुत देर तक वह एक भी रोटी नहीं बना पाई। अंत में उसने भगवान से कहा-"मुझे देर लग रही है,
आप चाहें तो कहीं और से रोटी खा सकते हैं।" यह सुनते ही भगवान को बहुत क्रोध आया और उन्होंने उसे एक कठफोड़वा बना दिया। उस समय उसने लाल रंग की टोपी पहनी हुई थी, इसलिए कठफोड़वे का सिर लाल रंग का होता है। वह संसार का पहला कठफोड़वा था।
रोहन और पुच्छल तारा मोरल स्टोरी इन हिंदी
एक समय की बात है, रोहन नाम का एक गरीब लड़का, एक छोटे शहर में रहता था। वह पढ़ाई में बहुत होशियार था एक दिन उसके विज्ञान के टीचर ने उसे पुच्छल तारों के बारे में बताया।
उसने अपने टीचर से कहा कि वह एक पुच्छल तारा देखना चाहता है। टीचर ने उसे कहा- ' खेत में, अंधेरा होने पर जाना और देखना।" अगले दिन उसने रोहन से पूछा- "क्या तुमने पुच्छल तारा देखा?"
रोहन ने जवाब दिया-"नहीं, मैं नहीं देख पाया।" टीचर ने पूछा- "तुमने उसे कहाँ ढूँढा।" रोहन ने जवाब दिया- "हर जगह-पेड़ के नीचे, गोभी की क्यारियों में, मटर की क्यारियों में। सर! वह वहाँ था ही नहीं वरना मुझे ज़रूर नज़र आता
मैं अपने साथ लालटेन भी ले गया था। हो सकता है, लालटेन बुझ गई हो इसलिए मैं पुच्छल तारा नहीं देख पाया।" टीचर उसके भोलेपन पर मुस्कराया और उसे बताया कि पुच्छल तारा ज़मीन पर नहीं आसमान में दिखाई देता है।
बच्चे, परी और चुड़ैल मोरल स्टोरी इन हिंदी
बहुत समय पहले, एक भाई-बहन पार्क में खेल रहे थे। एक चुडैल ने उन्हें देखा और उनका अपहरण कर लिया। वह उन बच्चों को एक अंधेरे कमरे में बंद करके खाना खाने चली गई। भाग्य से, एक खिड़की खुली हुई थी।
वे बच्चे उसमें से निकल भागे। जल्दी ही चुडैल वापस आ गई। उसने देखा, बच्चे कमरे में नहीं थे। वह उनको घर के बाहर ढूंढने के लिए निकली। उधर, बच्चे अपने घर का रास्ता ढूंढ रहे थे।
तभी,उन्हें एक दयालु परी मिली। उस परी ने उनकी मदद करने का वादा किया। लेकिन, बहुत जल्द चुडैल वहाँ पहुँच गई। परी ने बच्चों के चारों ओर आग का घेरा बना दिया। चुडैल ने फूंक मार कर आग बुझा दी।
तब परी ने बच्चो के चारों ओर काँच की दीवार बना दी। उस दीवार को तोड़ने के लिए, चुड़ैल अपने घर हथौड़ा लेने भागी। लेकिन उसके आने से पहले ही परी ने बच्चों को उनके घर पहुंचा दिया।
न्याय मोरल स्टोरी इन हिंदी
एक बार एक क्रूर व्यक्ति ने धन के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। व्यापारी की हत्या करने के बाद जब वह वहाँ से भाग रहा था, तभी उसे व्यापारी के परिवारजनों ने देख लिया।
वे सभी चिल्लाने लगे। फलस्वरूप वहाँ पर लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई और वे लोग हत्यारे का पीछा करने लगे। दौड़ते-दौड़ते वह हत्यारा नदी के किनारे पहुंच गया। अचानक एक शेर ने उस पर हमला कर दिया।
यह देखकर वह अपनी जान बचाने के लिए एक पेड़ पर चढ़ गया। तभी उसे पेड़ की पत्तियों में से किसी के (कराने की आवाज सुनाई पड़ी। उसने वहाँ देखा तो उसे पेड़ की टहनियों से लिपटा हुआ एक बड़ा सा अजगर दिखाई दिया।
वह हत्यारे को काटने के लिए ज्यों ही आगे बढ़ा, त्यों ही उसने नदी में छलांग लगा दी। लेकिन उसकी जिंदगी का अंत निश्चित था। नदी के अन्दर रहने वाले एक मगरमच्छ ने उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए। इस तरह प्रकृति ने स्वयं ही हत्यारे का न्याय कर दिया था। उसने किसी की जान ली थी तो प्रकृति ने स्वयं उसकी जान लेकर उसे सजा दे दी थी।
तीन चोर – Best Hindi Stories with Moral
तीन चोर थे। एक दिन उन्होंने एक धनी व्यापारी के यहाँ चोरी की। चोरी करने के बाद वे एक घने जंगल में गए और उस धन को आपस में बाँटने लगे। लेकिन उन्हें बड़े जोरों की भूख भी लगी थी।
इसलिए उन्होंने आपस में सलाह की कि पहले भोजन की व्यवस्था की जाए, उसके बाद धन बताएंगे। तब उनमें से एक चोर भोजन लेने के लिए शहर चला गया। वह चोर शहर से भोजन खरीद लाया।
लेकिन उसने उन दोनों के भोजन में जहर मिला दिया ताकि वह अकेला सारी दौलत को हड़प सके। उधर जंगल में रूके हुए दोनों चोरों ने भी एक योजना बनाई। वे एक पेड़ के पीछे छिप गए।
जब उनका साथी खाना लेकर आया तो उन्होंने उस पर प्रहार कर उसे मार दिया। फिर वे खुशी-खुशी उसके द्वारा लाया गया भोजन खाने लगे। विषैला भोजन खाते ही उनकी हालत बिगड़ गई। शीघ्र ही वे भी मौत की गोद में सो गए। इस तरह वे तीनों अपने दुष्कमों के शिकार बन गए।
मुफ्त का नारियल – Best Hindi Stories with Moral
एक व्यक्ति नारियल खरीदने के लिए गया। नारियल बेचने वाले ने एक नारियल की कीमत दस रुपए बताई। वह व्यक्ति बोला, "मैं तुम्हें एक नारियल के पाँच रुपए दूंगा।"
नारियल बेचने वाले ने कहा, "यदि तुम्हें पाँच रुपए में नारियल चाहिए तो यहाँ से दो मील दूर थोक बाजार में मिल जाएगा।" वह व्यक्ति दो मील चलकर थोक बाजार पहुँचा।
वहाँ उसने नारियल बेचने वाले से कहा, "मैं तुम्हें एक नारियल के तीन रुपए दूँगा।" नारियल बेचने वाला बोला, "यहाँ से तीन मील दूर समुद्र किनारे तुम्हें तीन रुपए में नारियल मिल जाएगा।"
तब वह व्यक्ति समुद्र किनारे पहुँचा। वहाँ उसने कहा, "मैं नारियल के लिए एक रुपया दूँगा।" "एक रुपया! नहीं, मैं इतने में नहीं दे सकता।" नारियल बेचने वाला उसे सुझाव देते हुए आगे बोला, "यदि तुम नारियल के पेड़ पर चढ़ोगे तो तुम्हें नारियल मुफ्त में मिल जाएगा।"
तब वह व्यक्ति एक पेड़ पर चढ़ गया। लेकिन फिसलकर जमीन पर गिर जाने से उसका पैर टूट गया। अब उसे अपने इलाज पर पाँच हजार रुपए खर्च करने पड़े। इस तरह मुफ्त का नारियल पानी का चक्कर उसे बहुत भारी पड़ा।
दयालु किसान – Best Hindi Stories with Moral
युद्ध समाप्त होने के बाद राजा की सेना वापस जा रही थी। वे सभी भूखे थे क्योंकि उनकी खाद्य आपूर्ति समाप्त हो गई थी। राजा ने अपने सिपाहियों से अन्न की व्यवस्था करने को कहा। सिपाही पास के एक गाँव की ओर चल दिए।
रास्ते में उन्हें एक किसान मिला। सिपाही उससे बोले, "हमें गाँव के सबसे बड़े खेत में ले चलो।" तभी उनकी नजर वहीं स्थित एक बड़े से खेत पर पड़ी।
सिपाही उस खेत से अनाज एकत्र करने लगे तो किसान ने उन्हें ऐसा करने से मना करते हुए कहा, "मेरे साथ आओ, मैं तुम्हें एक दूसरे बड़े खेत में लेकर चलता हूँ।" सिपाही किसान के साथ हो लिए।
फिर उन्होंने उस खेत से अनाज एकत्र किया और किसान से पूछा, "तुमने हमें उस पहले वाले खेत से अनाज एकत्र करने से मना क्यों कर दिया?" किसान ने जवाब दिया, "क्योंकि वह खेत किसी और का था जबकि यह खेत मेरा है।
मैं कैसे तुम्हें किसी दूसरे के खेत को नष्ट करने देता?" राजा ने जब किसान की दयालुता के बारे में सुना तो उन्होंने उसे बुलाकर फसल के मूल्य स्वरूप स्वर्णमुद्राएँ भेंट की।
बुद्धिमान पत्रकार – Best Hindi Stories with Moral
एक बुद्धिमान चित्रकार था। एक बार एक बूढ़ी धनी महिला अपना चित्र बनवाने के लिए उसके पास पहुंची। चित्रकार ने एक हफ्ते में उसका चित्र पूरा कर दिया। जब वह बूढी अपना चित्र लेने के लिए पहुँची तो उसके साथ उसका कुत्ता भी था।
चित्रकार ने उसे चित्र दिखाया और उसकी टिप्पणी का इंतजार करने लगा। बूढ़ी महिला ने एक बार अपने कुत्ते की ओर देखा फिर वह चित्रकार से बोली, "मैं तुम्हें इस चित्र के लिए कोई मूल्य नहीं दूंगी।
तुमने एकदम बकवास चित्र बनाया है। मेरा कुत्ता भी उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा है। मैंने तो तुम्हारी बड़ी प्रशंसा सुनी थी!" चित्रकार बोला, "यदि आपको चित्र पंसद नहीं है तो आप कल सुबह आइए।
तब तक मैं अपनी गलती सुधार लूँगा। मुझे आशा है कि कल निश्चित ही आपको चित्र पसंद आएगा।" अगले दिन फिर बूढी अपने कुत्ते के साथ आई। इस बार कुत्ता चित्र को चाटन लगा।
दरअसल चित्रकार ने रात में चित्र के नीचे किनारे पर माँस का एक टुकड़ा रगड़ दिया था जिस कारण कुत्ता उसे चाटने लगा था।
बूढ़ी महिला ने सोचा कि उसके कुत्ते का चित्र बहुत पंसद है। इसलिए उसने चित्रकार को मल्य स्वरूप बहुत सारा धन दिया।
कड़हारा और बाज – Latest Moral Story in Hindi
एक दिन एक लकड़हारा जंगल से गुजर रहा था। एक स्थान पर उसने देखा कि एक बाज किसी बहेलिए द्वारा बिछाए गए जाल में फँस गया है। लकड़हारे को बाज पर दया आ गई।
उसने दौड़कर बाज को जाल से आजाद कर दिया। बाज ने लकड़हारे का शुक्रिया अदा किया और वहाँ से उड़ गया। एक दिन लकड़हारा एक टीले पर बैठकर खाना खा रहा था।
अचानक कहीं से वही बाज आया और झपट्टा मारकर उसका खाना लेकर उड़ गया। फिर वह पास के पेड़ पर बैठ गया। अपना खाना बचाने के चक्कर में लकड़हारे का संतुलन बिगड़ गया था।
वह टीले से गिर पड़ा। लकड़हारे ने बाज को गौर से देखा और उसे तुरंत पहचान गया। उसे उस एहसानफरामोश बाज के ऊपर बहुत गुस्सा आया।
लेकिन बाज बोला,"श्रीमान्, आपके पीछे एक जहरीला साँप आपको डसने के लिए बैठा था। मैंने आपके खाने पर झपट्टा मारकर आपको उस स्थान से हटा दिया, ताकि वह साँप आपको न डस सके।"
लकड़हारे ने पीछे मुड़कर साँप को देखा तो उसे बाज की बात का विश्वास हुआ। उसने बाज को अपनी जिंदगी बचाने के लिए धन्यवाद दिया।
कच्चा भोजन – Latest Moral Story in Hindi
एक दिन एक खरगोश जंगल में कुलाँचे भर-भरकर दौड़ रहा था। अचानक उसने देखा कि एक लोमड़ी उसकी तरफ आ रही है। यह देख खरगोश घबराकर तेजी से भागने लगा।
लोमड़ी को लगा कि वह खरगोश को पकड पाने में असमर्थ रहेगी। इसलिए उसने एक योजना बनाई। वह बोली, "मेरे प्यारे दोस्त, तुम्हें मुझसे डरने की कोई जरूरत नहीं है।
मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगी। मैं तो सिर्फ तुम्हारी दोस्त बनना चाहती हूँ।" खरगोश लोमड़ी के शब्दजाल में फंस गया। वे दोनों दोस्त बन गए।
फिर एक दिन लोमड़ी ने खरगोश को अपने घर भोजन पर आमंत्रित किया। खरगोश खुशी-खुशी लोमड़ी के घर गया। लोमड़ी ने उसे पीने के लिए मूली के जूस का एक कटोरा दिया।
मूली का जूस पीने के बाद खरगोश बोला, "दोस्त, तुमने भोजन में क्या बनाया है?" लोमड़ी मुस्कराते हुए बोली, "आज तो मेरे पास कच्चा भोजन है।
उसे ही खाकर अपनी खूब मिटाऊँगी।" इतना कहकर लोमड़ी खरगोश पर झपटी और उसे मारकर खा गई।
गदीश का भोलापन – Latest Moral Story in Hindi
जगदीश एक भोला भाला लड़का था, जो सबकी मदद किया करता था। एक दिन उसके मित्र ने उसे खाने पर बुलाया। खाना खाकर जब वह घर पहुँचा तो उसने देखा उसके माता,
पिता और दोनों भाई पेट के दर्द से बेहाल थे।उसके पिता बोले-"दवा की दुकान में जाओ और पेट के दर्द की दवा, चार लोगों के लिए एक-एक खुराक ले लो।"
यह सुनकर जगदीश दुकान की तरफ तेज़ी से भागा परंतु उतनी तेज़ी से लौटा नहीं।उसका परिवार इंतज़ार करता रहा। उसके पिताजी अब थोड़ा बेहतर महसूस कर रहे थे,
इसलिए वह उसको ढूंढने निकले। अचानक, उसके पिता ने उसे सड़क के किनारे बैठे हुए देखा।उसके पेट में भी दर्द हो रहा था। उन्होंने जगदीश से पूछा-"बेटा! क्या हुआ?"
जगदीश ने जवाब दिया-"मैं दवाई की दुकान पर गया। मैंने दवाई की चार खुराक ली और खा ली।"यह जानकर जगदीश के पिता बहुत हैरान हुए परंतु उसके भोलेपन पर हंसे बिना न रह सके।
भोला चूहा
एक बार एक गाँव में एक चूहे का परिवार रहता था। एक दिन सबसे छोटा चूहा खेलने के लिए बाहर निकला। अचानक उसने एक मुर्गे को देखा।
उसकी बड़ी चोंच, पंख और उसके सिर के ऊपर लाल कलगी को देखकर वह डर गया। आगे उसे एक बहुत सुंदर बिल्ली दिखी।
उसे आकर्षक आँखें और नर्म बाल उसे बहुत अच्छे लगे।
घर जाकर उसने सारी बात अपनी माँ को बताई। उसकी माँ बहुत हैरान हुई। उसकी माँ ने कहा-"तुम बहुत भोले हो, कभी भी किसी के बाहरी दिखावे पर नहीं जाना चाहिए।
जिस जानवर को तुम भयानक कह रहे हो, वह एक मासूम मुर्गा था, जबकि जो तुम्हें भली लगी वह एक खतरनाक बिल्ली थी। अगर वह तुम्हें देख लेती तो खा जाती।"
छोटा चूहा अब सही और गलत समझ चुका था। उसने अपनी माँ से वादा किया कि वह कभी भी अकेले बाहर नहीं जाएगा।
मैरी की भूल – Moral Based Stories in Hindi
जब संसार बनाया जा रहा था, तब देवताओं ने एक उत्तम रचना बनाने की सोची। इसलिए उन्होंने मैरी नाम की एक लड़की बनाई जो बुद्धिमान और कुशल थी।
पृथ्वी पर भेजने से पहले वे उसे अपने राजा बृहस्पति के पास ले गए। राजा ने उसे एक संदेश दिया और कहा-"इसे कभी मत खोलना।"
परंतु एक दिन मैरी को इतनी उत्सुकता हुई, कि उसने भूल से संदूक खोल दिया। अचानक उसने देखा, संदूक में से सारी बुराइयाँ- बुढ़ापा, बीमारियाँ, लालच आदि बाहर आने लगी थीं।
यह देखकर उसने संदूक को बंद करने की बहुत कोशिश की, परंतु वह बंद नहीं हुआ। वह सारी बुराइयाँ सारे संसार में फैल गई और तब से पूरी मानव जाति को दुख भोगना पड़ रहा है।
मैरी को अपनी भूल का बहुत दुख हुआ। भाग्य से, उस संदूक में आशा भी थी। वही आशा, मानवता की बुराइयों से हमारी रक्षा करती है।
रानी और किसान– Moral Based Stories in Hindi
एक रानी ने शादी के लिए एक शर्त रखी। शर्त थी- "रानी उससे शादी करेगी, जिसकी तीन पहेलियों के उत्तर रानी न दे पाये।" कई लोग आए परंतु कोई कामयाब नहीं हुआ।
एक दिन ईशान नामक किसान ने रानी से पूछा-"मैंने एक अच्छी चीज़ में एक अच्छी चीज़ को देखा। मैंने पहली अच्छी चीज़ में से दूसरी अच्छी चीज़ को निकाल दिया।"
रानी उत्तर नहीं जानती थी। इसलिए उसने कहा कि उसकी तबियत ख़राब है, और चली गई। उसने अपनी नौकरानी को उत्तर का पता लगाने को भेजा। नौकरानी कामयाब हुई।
अगले दिन रानी ने उत्तर दिया-"तुमने घोड़े को खेत में देखा और उसे खेत से निकाला।" उसने दूसरी पहेली पूछी-"मैंने सड़क पर एक बुरी चीज़ को एक बुरी चीज़ से मार डाला।"
रानी ने फिर वही बहाना बनाया और नौकरानी से उत्तर का पता लगाया। उत्तर था-"तुमने सड़क पर सांप को पत्थर से मार डाला।" अब ईशान ने तीसरी पहेली पूछी-"तुमने मेरी दोनों पहेलियों के उत्तर कैसे दिए।"
रानी के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं थी। रानी अब अपनी शर्त हार चुकी थी। इसलिए रानी को अब ईरान से शादी करनी पड़ी।
बुद्धिमान यात्री – Long Stories in Hindi with Moral
एक यात्री घोड़े पर सवार होकर कहीं जा रहा था। एक जंगल को पार कर समय उसे थकान महसूस होने लगी। इसलिए वह घोड़े से नीचे उतरा एक छायादार वृक्ष के नीचे लेट गया।
जल्दी ही उसे नींद आ गई। उसका घोड़ा वहीं पास में चरने लगा। कुछ घंटों बाद यात्री उठा तो उसने देखा कि उसका घोड़ा गायब है। उसने उसे वहाँ चारों तरफ ढूँढा, लेकिन उसे घोड़ा नहीं मिला।
तब उसने अपना मोटा डंडा उठाया और घोड़ा चोर को ढूँढने लगा। घोड़े को ढूँढते-ढूँढते वह नजदीक के गाँव में पहुँच गया। वहाँ पर उसने अपना डंडा घुमाते हुए चिल्लाकर कहा, "मेरा घोड़ा किसने चुराया है?
जिसने भी ये कार्य किया है वह मेरा घोड़ा लौटा दे, अन्यथा मैं वही करूँगा, जो मैंने पिछली बार किया था।" चोर उसी गाँव का था। उसकी बात सुनकर चोर डर गया और वह तुरंत घोडे को ले आया।
फिर वह यात्री के सामने हाथ जोड़कर बोला, "मुझे माफ कर दो। ये रहा तुम्हारा घोड़ा। लेकिन ये तो बताओ कि जब पिछली बार तुम्हारा घोड़ा चोरी हुआ था,
तब तुमने क्या किया था?" बुद्धिमान यात्री बोला, "कुछ भी नहीं! मैंने नया घोड़ा खरीद लिया था।" ये कहकर वह जोर जोर से हँसने लगा।
राजा विक्रमादित्य – Long Stories in Hindi with Moral
विक्रमादित्य एक महान राजा थे। वे अपने न्याय के लिए प्रसिद्ध थे। एक दिन वे नदी के तट पर घूमने गये। उन्हें वह स्थान बहुत अच्छा लगा। इसलिए उन्होंने अपने प्रधानमंत्री को वहाँ पर एक सुंदर महल बनाने का आदेश दिया।
राजा का आदेश पाकर प्रधानमंत्री उस स्थान का निरीक्षण करने के लिए वहाँ गए। लेकिन जल्दी ही वह वहाँ से वापस आ गए और राजा विक्रमादित्य से बोले,"महाराज, जहाँ पर महल बनना है, ठीक वहीं पर एक बूढ़ी औरत की झोंपड़ी है।
इससे महल की सुंदरता खंडित होगी।" । राजा विक्रमादित्य ने बुढ़िया को दरबार में उपस्थित करने का आदेश दिया। अगले दिन वह बूढ़ी औरत राजा से मिलने आई।
राजा विक्रमादित्य ने उससे अपनी झोंपड़ी छोड़ने के बदले धन देने की पेशकश की तो वह बोली, "मैं अपनी झोंपड़ी नहीं छोड़ेंगे। वह मेरे स्वर्गीय पति की निशानी है। कोई भी मुझे उस झोंपड़ी से अलग नहीं कर सकता।"।
उस वृद्धा औरत का यह उत्तर सुनकर राजा को उसकी भावनाओं का अहसास हुआ और उन्होंने वहाँ पर महल बनवाने का इरादा त्याग दिया। सभी लोगों ने विक्रमादित्य के इस आदेश की प्रशंसा की।
बुद्धिमान गंगा – Long Stories in Hindi with Moral
महेश एक जुआरी था। उसकी जुआ खेलने की आदत से उसकी पत्नी गंगा । में बड़ी परेशान थी। एक दिन महेश जुए सोनू से बहुत सारा पैसा हार गया। सोनू ने उससे पैसा माँगा। लेकिन महेश के पास उसे देने के लिए पैसे नहीं थे।
तब सोनू बोला, "कल मैं तुम्हारे घर आऊँगा और जिस भी वस्तु पर सबसे पहले मेरा हाथ पड़ेगा, वह मेरी हो जाएगी।" महेश अपने घर गया और सारी बात अपनी पत्नी को कह सुनाई। वह बोली.
"मैं तुम्हारी मदद सिर्फ इस शर्त पर करूंगी, कि तुम अब कभी जुआ नहीं खेलोगे। मुझसे इस बात का वादा करो।" महेश ने जुआ छोड़ने का वादा कर लिया। गंगा ने सारा कीमती सामान एक संदूक में भरकर संदूक को ऊँचाई पर रख दिया।
अगले दिन सोनू उनके घर आया। वह जानता था कि सारा सामान एक सदूक में रखा है। वह उस तक पहुँचने के लिए वहाँ लगी सीढ़ी से चढ़ने लगा। उसने जैसे ही सीढ़ी को छुआ,
गंगा बोली, "रुको! तुम्हारे कहे अनुसार ये सीढ़ी तुम्हारी हुई, क्योंकि तुमने सबसे पहले इसे ही छुआ है।" बेचारा सोनू दुखी मन से वहाँ से चला गया।
शरणागत की उपक्षा का फल – Long Stories in Hindi with Moral
किसी नगर में चित्ररय नाम का एक राजा रहता था। उसके राज्य में पद्मसर नाम का एक सरोवर या, जिसकी सुरक्षा राजा के कर्मचारी किया करते थे। उस वा में स्वर्णपखी हंस निवास करते थे।
वे हंस छ: छः माह के उपरांत अपने स्वर्ण पंख सरोवर में गिराते रहते थे। राजा के कर्मचारी उन पंखों को एकत्रित कर राजा को सौंप देते थे। एक दिन वहा एक बहुत बड़ा स्वर्ण पक्षी आ गया।
हंसों ने उस पक्षी से कहा- तुम इस सरोवर में मत रहो। हम इस सरोवर में मुल्य देकर रहते है। हम प्रति छः महीने बाद राजा को अपने स्वर्ण पंख देकर इसका मूल्य चुकाते हैं। हमने यह तालाब किराए पर ले रखा है।'
किंतु उस पक्षी ने उनकी बातों पर ध्यान न दिया इस प्रकार परस्पर दोनों के बीच विवाद पैदा हो गया। विवाद ज्यादा बढ़ गया तो वह पक्षी राजा की शरण में पहुंचा और उसके उल्टे-सीधे कान भरने लगा।
उसने राजा से शिकायत की कि हंस उसको वहां ठहरने नहीं दे रहे हैं। वे कहते हैं कि सरोवर उन्होंने खरीद लिया है। राजा उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता। उन्होंने आपके प्रति अपशब्द भी कहे।
मैंने उन्हें मना किया, तब भी वे नहीं माने। इसी कारण मैं आपकी शरण में आया हूं। राजा कानों का कच्चा या। उसने पक्षी की बात को सत्य मानकर तालाब के स्वर्ण हंसों को मारने के लिए अपने कर्मचारियों को भेज दिया।
हंसों ने जब राज कर्मचारियों को लाठियां लेकर अपनी ओर आते देखा तो वे सब समझ गए कि अब इस स्थान पर रहना उचित नहीं है। अपने वृद्ध नेता की सलाह पर वे उसी समय जलाशय से उड़ गए।
हरिदत्त ने अपने स्वजनों को यह कया सुनाने के बाद फिर से उस क्षेत्रपाल सर्प को प्रसन्न करने का प्रयास किया दूसरे दिन वह पहले की तरह दूध लेकर सर्प की बांबी पर पहुंचा और सर्प की स्तुति की।
सर्प बहुत देर की प्रतीक्षा के बाद अपने बिल से थोड़ा बाहर निकला और उस ब्राह्मण से बोला-'ब्राह्मण ! अब तू पूजाभाव प्रेम नहीं हो सकता। तेरे पुत्र ने लोभवश मुझे मारना चाहा, किंतु मैंने उसे डस लिया।
अब न तो तू अपने पुत्र के वियोग को ही भूल सकता है और न ही मैं तेरे पुत्र द्वारा स्वयं पर किए गए उसके लाठी के प्रहार को भुला सकता हूं।' से नहीं, लोभ के वशीभूत होकर यहां आया है
अब तेरा-मेरा यह कहकर वह सर्प ब्राह्मण को एक बहुत बड़ा हीरा देकर अपने बिल में घुस गया और जाते-जाते कह गया कि अब से कभी इघर आने का कष्ट न करना। ब्राह्मण उस हीरे को लेकर पश्चात्ताप करता हुआ अपने घर लौट आया।
यह कथा सुनाकर रक्ताक्ष ने कहा-'महाराज! इसलिए मैं कहता हूं कि मित्रता एक बार टूट जाने पर कृत्रिम स्नेह से जुड़ा नहीं करती। अतः शत्रु के इस मंत्री को समाप्त कर अपना साम्राज्य निष्कंटक कर लीजिए।'
रक्ताक्ष की बात सुन लेने के बाद उल्लूराज ने अपने दूसरे मंत्री क्रूराक्ष से पूछा तो उसने परामर्श दिया-'देव ! मैं समझता हूं कि शरणागत का वध नहीं किया जाना चाहिए। एक कबूतर ने तो अपना मांस देकर भी अपने शरणागत की रक्षा की थी।'
घमंडी गधा – Long Stories in Hindi with Moral
एक दिन एक जौहरी एवं एक लौह व्यापारी अपने-अपने गधों पर सवा होकर कहीं जा रहे थे। जौहरी के गधे की पीठ पर रेशम का कपड़ा था और वह स्वर्ण मुद्राओं एवं कीमती जवाहरातों से भरे हुए दो थैले ढो रहा था।
वहीं लौह व्यापारी का गधा साधारण था। वह कुछ लोहे की छड़ें ढो रहा था। जौहरी के गधे को अपनी पीठ पर कीमती सामान होने के कारण घमंड हो गया। उसकी घमंड पूर्ण बातें दूसरा गधा सुन रहा था। दुर्भाग्य से,
जब वे एक जंगल से गुजर रहे थे, डाकुओं के एक गिरोह ने उन्हें रोक लिया। डाकुओं को देखकर जौहरी एवं व्यापारी अपने-अपने गधों को छोड़कर भाग खड़े हुए। डाकू सामान को देखने लगे।
उन्हें लौह व्यापारी के गधे की पीठ पर रखे सामान में कुछ भी कीमती सामान नहीं मिला। इसलिए उन्होंने उसे छोड़ दिया। जौहरी के घमंडी गधे की पीठ पर कीमती सामान देखकर वे उस पर लदे थैलों से सामान निकालने लगे।
जब गधा जरा-सा भी विरोध करता, है उसे खूब जोर-जोर से मारते। इस प्रकार उस घमंडी गधे को सबक मिल गया कि घमंड करना ठीक नहीं है। घमंडी लोगों को हमेशा नीचा देखना पड़ता है।
ठग और ब्राह्मण – Long Stories in Hindi with Moral
किसी स्थान पर मित्र शर्मा नाम का एक कर्मकांडी ब्राह्मण रहता था। एक दिन दूर के एक गांव में जाकर वह अपने यजमान से बोला-'यजमान जी ! मैं अगली अमावस्या के दिन यज्ञ कर रहा हूँ ।
उसके लिए कोई हट-पुष्ट पशु दे दो। यजमान ने उसे एक मोटा-ताजा बकरी का बच्चा दे दिया। रास्ते में बकरी का बच्चा ब्राह्मण को कुछ परेशान करने लगा तो उसने उसे कंधे पर लाद लिया।
आगे चलकर रास्ते में उसे तीन घूर्त मिले। तीनों भूख से व्याकुल थे। वे सोचने लगे कि क्यों न इस ब्राह्मण से यह बकरी का बच्चा हथियाकर आज इसी से अपनी भूख मिटाई जाए।
यह विचार आते ही उनमें से एक धूर्त वेश बदलकर किसी अन्य मार्ग से आग जाकर ब्राह्मण के रास्ते में बैठ गया। जब ब्राह्मण वहां से गुजरने लगा तो उस घूर्त ने उससे कहा-'पंडित जी, यह क्या अनर्थ कर रहे हो ?
ब्राह्मण होकर एक कुत्ते को कंधे पर बिठाए ले जा रहे हो।' ब्राह्मण बोला-'अंधे हो क्या, जो बकरे को कुत्ता बता रहे हो?' 'मुझ पर क्रोध क्यों करते हो, विप्रवर। यह कुत्ता नहीं बकरा है तो ले जाइए अपने कंधे पर।
मुझे क्या ? मैंने तो ब्राह्मण जानकर आपका धर्म भ्रष्ट न हो जाए, इसलिए बता दिया। अब आप जाने और आपका काम ।' कुछ दूर जाने पर ब्राह्मण को दूसरा धूर्त मिल गया।
वह ब्राह्मण से बोला-'ब्राह्मण देवता, ऐसा अनर्थ किसलिए? इस मरे हुए बछड़े को कंधे पर लादकर ले जाने की क्या आवश्यकता पड़ गई ? मृत पशु को छूना तो शास्त्रों में भी निषेध माना गया है।
उसको छूने के बाद तो किसी पवित्र सरोवर अथवा नदी में जाकर स्नान करना पड़ता है।' ब्राह्मण कुछ और आगे पहुंचा तो तीसरा धूर्त सामने आ गया।
बोला-'अरे महाराज! यह तो बहुत अनुचित कार्य आप कर रहे हैं कि एक गधे को कंधे पर रखकर ढो रहे हैं। इससे पहले कि कोई और आपको देख ले, उतार दीजिए इसे कंधों से।'
तीन स्थानों पर, तीन व्यक्तियों के द्वारा बकरे के लिए अलग अलग नामों के सम्बोधन सुन ब्राह्मण को भी संशय हो गया कि यह बकरा नहीं है।
उसने बकरे को भूमि पर पटक दिया और अपना पल्ला झाड़कर अपने रास्ते पर चला गया। उसके जाने के बाद तीनों धूर्त वहां इकट्ठे हुए और बकरी के बच्चे को उठाकर चले गए।
हरा सोना – Long Stories in Hindi with Moral
निशा एक गरीब लड़की थी। वह भीख माँगकर अपना गुजारा करती थी। एक दिन एक औरत ने उसे भीख के बदले फूलों के कुछ पौधे एवं बीज देते हुए कहा,
"तुम इन पौधों और बीजों को घर के आँगन में बोना तो तुम्हें कभी भीख नहीं माँगनी पड़ेगी।" निशा की समझ में कुछ नहीं आया, लेकिन उसने औरत के कथनानुसार उन पौधों एवं बीजों को अपने घर के आँगन में बो दिया।
साथ ही उसने उन पौधों की अच्छी तरह देखभाल शुरू कर दी। वह प्रतिदिन उन्हें पानी देती। कुछ हफ्ते बाद उसके घर के चारों ओर सुंदर-सुंदर फूल खिल गए।
एक दिन एक महिला ने उन फूलों को देखा और वह उन्हें खरीदने के लिए निशा के पास आई। निशा ने कुछ फूल तोड़े और उस महिला को बेच दिए। अब निशा घर-घर जाकर भी फूल बेचने लगी।
इस तरह उसका जीवन सुधरने लगा और उसने भीख माँगना छोड़ दिया। जल्दी ही कुछ लोग उसके नियमित ग्राहक बन गए। उसने कुछ पैसे बचाकर बाजार में फूलों की एक छोटी-सी दुकान खोली।
वहाँ पर काफी सारे लोग फूल खरीदने के लिए आते थे। निशा अपनी तरक्की के लिए उस दयालु औरत का मन-ही-मन धन्यवाद कर रही थी जिसने उसे हरा सोना दिया था।
नीच का न्याय – Long Stories in Hindi with Moral
एक जंगल के जिस वृक्ष पर मैं रहता था, उसके नीचे के तने में एक खोखल में किंजल नाम का एक चटक (तीतर) भी रहता था। एक दिन कपिजल अपने साथियों के साथ बहुत दूर के खेत में धान की नई-नई कोपलें खाने चला गया।
बहुत रात बीतने पर भी जब वह वापस न लौटा तो मुझे चिंता होने लगी। इसी बीच शीघ्रगति नाम का एक खरगोश वहां आया और कपिंजल के खाली स्थान को देखकर उसमें घुस गया। दूसरे दिन कपिंजल अचानक वापस लौट आया।
अपने खोखल में आने पर उसने देखा कि वहां एक खरगोश बैठा हुआ है उसने खरगोश से अपनी जगह खाली करने को कहा। खरगोश भी तीखे स्वभाव का या, दोला'यह घर अद तेरा नहीं हैं।
वापी, कृप, तालाब और वृक्षों पर बने घरों का यही नियम है कि जो भी उनमें बसेरा कर ले, वह घर उसका हो जाता है। घर का स्वामित्व केवल मनुष्यों के लिए होता है। पक्षियों के लिए गृह-स्वामित्व का कोई विधान नहीं है।'
उनकी बातचीत को एक जंगली बिल्ली सुन रही थी उसने सोचा-मैं ही। पंच बन जाऊं तो कितना अच्छा है, दोनों को मारकर खाने का अवसर मिल जाएगा" यही सोच, हाय में माला लेकर,
सूर्य की ओर मुख करके वह नदी किनारे कुशासन बिछाकर, आंख मूंदकर बैठ गई और धर्म का उपदेश करने लगी। उसके उपदेशों को सुनकर खरगोश ने कहा-'यह देखो। कोई तपस्वी बैठा है।
क्यों न इसी तीतर बिल्ली को देखकर डर गया, दूर से ही बोला—'मुनिवर ! आप हमारे झगड़े का निबटारा कर दें। जिसका पक्ष धर्मविरुद्ध हो, उसे तुम खा लेना। यह सुनकर बिल्ली ने आंखें खोली और कहा- 'राम-राम। ऐसा न कहो।
मैंने हिंसा का मार्ग छोड़ दिया है। अतः मैं हिंसा नहीं करूंगी। हां, तुम्हारा निर्णय करना मुझे स्वीकार है। किंतु, मैं वृद्ध हूं, दूर से तुम्हारी बातें नहीं सुन सकती, पास आकर अपनी बात कहो।'
बिल्ली की बात पर दोनों को विश्वास हो गया दोनों ने उसे पंच मान लिया और उसके निकट जा पहुंचे। उचित अवसर पाकर बिल्ली ने दोनों को ही दबोच लिया और मारकर खा गई।
इसी को पंच बनाकर पूछ लें ?' कौए की बात सुनकर सभी पक्षी उल्लू को राजमुकुट पहनाए बिना वहां से चले गए। केवल अभिषेक की प्रतीक्षा करता हुआ उल्लू, उसकी मित्र कृकालिका और कौआ वहीं रह गए।
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Tamil Nadu Picture Hindi Movie
Source: https://www.hindimein.in/2019/12/top-10-moral-story-in-hindi-with-picture.html
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